नई दिल्ली: सनातन धर्म को लेकर अपने बयान पर घिरे डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। इस बीच उन्होंने एक बार फिर से अपने बयान को दोहराने की बात की। उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान पर हो रहे चौतरफा सियासी हमलों पर कहा, 'माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद के उद्घाटन के मौके पर नहीं बुलाया गया। ये वर्तमान सनातन धर्म भेदभाव का सबसे बेहतरीन उदाहरण है।'
उदयनिधि के बयान को लेकर बीजेपी ने विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए पर सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी ने विपक्ष के गठबंधन से माफी की मांग की है। हालांकि, 'इंडिया' गठबंधन में उदयनिधि स्टालिन के बयानों को लेकर भी अलग-अलग राय सामने आ रही हैं। कुछ पार्टियां उनके बयान का समर्थन कर रही हैं तो कुछ ने उदयनिधि को संयम बरतने की सलाह दी है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उदयनिधि के बयान पर कहा, "मैं तमिलनाडु के लोगों का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन उनसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि हर धर्म की अपनी अलग-अलग भावनाएं होती हैं।
उन्होंने कहा, हमें ऐसे किसी भी मामले में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे किसी भी वर्ग को ठेस पहुंचे। शायद वह जूनियर (स्टालिन) हैं और उन्हें यह बात नहीं पता होगी।"
ममता बनर्जी ने कहा, "भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यह एक लोकतांत्रिक देश है और विविधता में एकता ही हमारा मूल है इसलिए मैं सनातन धर्म का सम्मान करती हूं। हम मंदिर, मस्जिद, चर्च हर जगह जाते हैं। निंदा कहने के बजाय, मेरा सभी से विनम्र अनुरोध है कि हमें ऐसी किसी भी बात पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जिससे किसी को ठेस पहुंचे। हमें विविधता में एकता को याद रखना होगा।"
प्रियांक खड़गे ने कही ये बात
कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है या यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपको इंसान होने का सम्मान मिले, वह मेरे अनुसार धर्म नहीं है। कोई भी धर्म जो समान अधिकार नहीं देता है या आपके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता है वह बीमारी के समान है।"