चेन्नई: तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने बहुत तनाव के बीच गुरुवार को एलान किया कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के साथ अपना गठबंधन जारी रखेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा कि तमिलनाडु में एनडीए का नेतृत्व एआईएडीएमके करेगी। साथ ही बीजेपी और अन्य दलों को हमारे अधीन आना चाहिए।" एआईडीएमके तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी है। राज्य में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं। ये यूपी, महाराष्ट्र, बंगाल और बिहार के बाद सबसे ज्यादा है।
2019 में बीजेपी ने राज्य की 5 सीटों पर लड़ा था चुनाव
2019 में बीजेपी ने एआईएडीएमके के साथ मिलकर राज्य में 5 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। हालांकि, पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला। एआईएडीएमके भी कोई करामात नहीं दिखा पाई थी। एआईएडीएमके में पिछले दिनों बगावत हुई। जिसके बाद पार्टी की कमान ई. पलानीस्वामी को मिली। हाल में ईरोड पूर्व में हुए उपचुनाव में एआईएडीएमके को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
इसके बाद पलानीस्वामी ने नया दांव खेला और बीजेपी के कुछ नेताओं को पार्टी में शामिल करा लिया।
बीजेपी के 13 नेताओं ने एआईएडीएमके का दामन थामा
राज्य बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख सीटी रविकुमार के नेतृत्व में 13 नेताओं ने एआईएडीएमके का दामन थाम लिया। बीजेपी ने इसे गठबंधन धर्म का उल्लंघन बताया। बीजेपी ने इसके साथ ही पलानीस्वामी पर निशाना साधा। बीजेपी ने कहा कि एआईएडीएमके बीजेपी के हो रहे विस्तार से घबरा गई है। विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि कोलिवपट्टी में बीजेपी समर्थकों ने पलानीस्वामी के पोस्टर फाड़ दिए। एआईएडीएमके के सूत्रों ने कहा कि विवाद के बाद अब पलानीस्वामी बीजेपी को अपने ऊपर 'भार' के रूप में देख रहे हैं।
गठबंधन पर नहीं होगा असर
बीजेपी से एआईएडीएमके पर अपने कैडर के अवैध शिकार का आरोप लगाया है। हालांकि, एआईएडीएमके ने इन आरोपों को खारिज किया है। पार्टी ने कहा कि राजनीतिक नेताओं का खेमा बदलना सामान्य है। इससे पहले भी पूर्व मंत्री नैनार नागेंद्रन सहित एआईएडीएमके के कई वरिष्ठ नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस मामले पर जे जयकुमार ने कहा, "इन छोटे मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा।" वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने भी कहा कि इस मुद्दे का गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
हालांकि, एआईएडीएमके के अंदरखाने से कई नेताओं का मानना है कि बीजेपी अब पार्टी के लिए एक बोझ बन गई है। एआईएडीएमके के नेताओं की शिकायत है कि राज्य में अपनी नगण्य उपस्थिति के बावजूद पार्टी केवल आक्रामक रूप से अपने पदचिह्न का विस्तार करने का प्रयास कर रही है, जो उचित नहीं है।