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चेन्नई: तमिलनाडु में लगभग स्थापित हो चुकी सत्ता परिवर्तन की परिपाटी को ध्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री जे जयललिता ने गुरुवार को अपनी पार्टी अन्नाद्रमुक को शानदार दिलाई। उनकी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला है। चुनाव आयोग के अनुसार अन्नाद्रमुक 132 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। विपक्षी द्रमुक 87 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ ही 2 सीटों पर आगे चल रही है। उसकी सहयोगी कांग्रेस ने आठ सीटें जीती हैं। आल इंडिया मुस्लिम लीग ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। जयललिता रिकॉर्ड छठीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रही है। तमिलनाडु की राजनीति में बीते तीन दशकों से यह लगभग स्थापित परिपाटी रही है कि हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन होता है, लेकिन इस बार जयललिता ने इस परिपाटी को तोड़ दिया है और अपने राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन के बाद राज्य की सियासत में यह कारनामा करने वाली इकलौती नेता बन गई हैं। साल 2011 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 203 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। इसमें अन्नाद्रमुक को 150, डीएमडीके को 29, माकपा को 10 और भाकपा को नौ सीटें मिली थीं। इस बार भी अन्नाद्रमुक ने कुछ इसी तरह की शानदार चुनावी कामयाबी हासिल की है।

इससे पहले एमजीआर ने 1984 के चुनाव में लगातार तीसरी जीत दर्ज करके सरकार बनाई थी और 24 दिसंबर 1987 को हुई मृत्यु तक मुख्यमंत्री रहे। दिन में अन्नाद्रमुक को बहुमत मिलने के के स्पष्ट संकेत मिलने के बाद मुख्यमंत्री जे जयललिता ने कहा कि गठबंधन नहीं करने के बावजूद उनकी पार्टी ‘ऐतिहासिक जीत’ दर्ज करने में सफल रही और उन्होंने विश्वास प्रकट करने के लिए मतदाताओं का आभार जताया। अपने ‘पोएस गार्डेन’ स्थित आवास से दिए विजयी संबोधन में जयललिता ने कहा, 'तमिलनाडु के लोगों ने जो हमें शानदार जीत दी है उससे हम अभिभूत हैं। मेरी पार्टी और मैं इस ऐतिहासिक जीत के लिए तमिलनाडु की जनता के कर्जदार हैं।' मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जीत इस मायने में ‘ऐतिहासिक’ है कि 1984 के बाद यह पहली बार है कि कोई सत्तारूढ़ पार्टी जीती है और सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु की जनता के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मेरे शब्दकोष में कोई शब्द नहीं है। सरकार बनने के बाद मैं अपने काम से आभार प्रकट करूंगी। हम घोषणापत्र में किए गए अपने सभी वादों को पूरा करने की कोशिश करेंगे।' अन्नाद्रमुक को शानदार सफलता दिलाने के साथ ही मुख्यमंत्री जे जयललिता ने एक बार फिर आरके नगर सीट से खुद जीत दर्ज की। उन्होंने द्रमुक उम्मीदवार शिमला मुथुचोझान को 39,545 मतों के अंतर से पराजित किया। पूर्व मुख्यमंत्री और द्रमुक के मुखिया एम करूणानिधि ने तिरूवरूर विधानसभा सीट पर अन्नाद्रमुक के उम्मीदवार आर पनीरसेल्वम को 68,366 मतों के अंतर से पराजित किया। करूणानिधि को 121,473 मत मिले तो अन्नाद्रमुक उम्मीदवार को 53,107 मत हासिल हुए। करूणानिधि के पुत्र और द्रमुक के कोषाध्यक्ष एमके स्टालिन ने कोलातूर विधानसभा सीट पर अन्नाद्रमुक उम्मीदवार जेसीडी प्रभाकर को 37,766 मतों के अंतर से हराया। इस बार पीएमके और डीएमडीके जैसे दलों को खासी निराशा हाथ लगी। यही नहीं इनके दिग्गज नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा। पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ए रामदास पेन्नागारम विधानसभा क्षेत्र से हार गए। उनको द्रमुक उम्मीदवार इनबाशेखरन ने करीब 20 हजार के मतों के अंतर से पराजित किया। अभिनय से सियासत की दुनिया में कदम रखने वाले विजयकांत भी इस बार बुरी तरह पराजित हो गए और उनकी पार्टी डीएमडीके को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि पिछली बार के चुनाव में उसे 29 सीटें मिली थीं। डीएमडीके-पीडब्ल्यूएफ-टीएमसी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार विजयकांत उलुनदुरपेट विधानसभा क्षेत्र में तीसरे स्थान पर रहे। तमिलनाडु भाजपा की अध्यक्ष तमिलीसाई सौंदराजन को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। वह विरूगमबक्कम सीट पर तीसरे स्थान पर रहीं। वीसीके के प्रमुख टी तिरूमावलम को कट्टूमन्नारकोइल (सु) सीट से अन्नाद्रमुक के मुरूगुमारन ने महज 87 मतों के अंतर से पराजित किया। राज्य में 232 सीटों पर चुनाव लड़ रही पीएमके एक सीट भी नहीं जीत सकी। तमिलनाडु के 32 जिलों में 234 विधानसभा सीटें हैं लेकिन मतदान केवल 232 सीटों के लिए हुआ है क्योंकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के बीच धन बांटे जाने की शिकायतों के बाद अरावाकुरिची और तंजावुर विधानसभा सीटों के लिए मतदान टालने का निर्णय लिया था। इन दो सीटों के लिए 23 मई को मतदान होगा।

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