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नई दिल्ली: एक आदमी और उसकी बेटी की सूझबूझ और बहादुरी ने एक हज़ार से ज़्यादा रेल यात्रियों की जान बचाई है। त्रिपुरा के आदिवासी स्वप्न देबबर्मा और उनकी बेटी सोमती 15 जून की इस घटना के बाद से सुर्ख़ियों में हैं। त्रिपुरा के धलाई में रहने वाले स्वपन देबबर्मा ने बताया कि उस दिन घर पर चावल नहीं थे। बारिश हो रही थी। हमने कटहल खाया और फिर मैं बेटी सोमती के साथ मछली की खोज में चल दिया। हम जब रेल पटरी के पास पहुंचे तो हमने देखा कि बड़े भूस्खलन से पटरी को नुकसान पहुंचा है।

हमने सोचा कि अगर ट्रेन को नहीं रोका तो कई लोगों की जान चली जाएगी। हम दो घंटे तक वहीं बैठे रहे। जैसे ही ट्रेन आई मैंने अपनी शर्ट उतारकर लहराना शुरू कर दिया। ट्रेन नहीं रुकी तो मैं पटरी के बीच खड़ा हो गया और बेटी को भी खींच लिया। ड्राइवर ने कहा कि बाप-बेटी को रेलवे ट्रैक पर देखकर कुछ मीटर पहले ही गाड़ी रोक दी। हमने सोचा था कि दो लोगों की जान जाएगी लेकिन सैकड़ों की बच जाएगी। इस घटना से जुड़ा वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो ने स्वप्न देबबर्मा और उनकी बेटी को मशहूर बना दिया है।

39 साल के स्वपन देबबर्मा अपना बैंक खाता खोलने के लिए अपने दस्तावेज़ तैयार कर रहे हैं। सरकार की जनधन योजना के तहत वो खाता नहीं खोल पाए थे। चौथी क्लास में स्कूल छोड़ चुके स्वपन दास त्रिपुरा के दूर दराज़ धलाई ज़िले के धानचारा के आदिवासी हैं। अभी तक उनके लिए दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल था लेकिन इस घटना के बाद से उनके लिए कई पुरस्कारों की घोषणा हुई है।

स्वपन देबबर्मा का कहना है कि मेरे पास मनरेगा जॉब कार्ड नहीं है। बैंक खाता नहीं है हालांकि मैंने काफ़ी कोशिश की, लेकिन जब मैंने ट्रेन को बचाया तो मुझे इनाम मिले। लोगों ने बैंक एकाउंट खोलने में मेरी मदद की। पहले हम जंगल से लकड़ी लाकर स्थानीय बाजार में बेचते थे और साठ से सत्तर रुपए एक दिन में कमाते थे जो खाने को पूरा नहीं पड़ता था। लेकिन ये वीडियो वायरल होने के बाद स्वपन देबबर्मा हीरो बन गए हैं।

क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने भी उनकी तारीफ़ में ट्वीट किया है सहवाग ने ट्वीट कर कहा है कि त्रिपुरा में लोग उन्हें सुपरमैन से लेकर भगवान का अवतार तक बता रहे हैं।

धलाई के स्थानीय निवासी रतन साहा ने बताया कि उस दिन स्‍वप्‍न देव भगवान के रूप में आए कई लोगों की जिंदगी बचाई। वहीं त्रिपुरा के स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने कहा कि मैंने विधानसभा में एक प्रस्ताव पास करा कर गृह मंत्रालय को भेजा है और उनके लिए बहादुरी के पुरस्कार की मांग की है।

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