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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर हाल में भाजपा में शामिल होने वाले सुवेंदु अधिकारी के गढ़ में सीएम व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को मेगा रैली कर बड़ा दांव खेला। ममता ने इस रैली से बड़ा एलान करते हुए कहा कि इस बार का विधानसभा चुनाव वह नंदीग्राम से भी लड़ेंगी। साथ ही, अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से भी ममता मैदान में उतरेंगी। नंदीग्राम सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। अधिकारी पिछले महीने ही में तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। ममता ने यहां रैली में कहा कि नंदीग्राम मेरे लिए लकी है। नंदीग्राम से शुरुआत की है। मैं नंदीग्राम को भूली नहीं हूं। रक्त से सने उस दिन को कैसे भूलुंगी।
उनके मुताबिक, कुछ लोग इधर-उधर कर रहे हैं। उतना चिंता करने की बात नहीं है। तृणमूल का जब जन्म हुआ था, उस समय वे नहीं थे। कोई-कोई जा ही सकते हैं। अच्छा ही किए हैं। राजनीति में तीन लोग होते हैं। लोभी, भोगी, त्यागी। किसी दिन त्यागी मां का गोद नहीं छोड़ेंगे। भाजपा के नेता दिल्ली से बोल रहे हैं या तो जेल या घर में रहें। भाजपा वाशिंग मशीन और वाशिंग पाउडर है। काला होकर घुसेगा और सादा होकर निकलेगा।
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बीरभूम: तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को बीरभूम से सांसद शताब्दी रॉय को पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। बीते शुक्रवार को शताब्दी बगावती तेवरों को लेकर सुर्खियों में आई थीं। उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं पर खुद को नीचा दिखाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उन्होंने जल्द ही अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर एलान करने का फैसला लिया था। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी से बात करने के बाद उनके तेवर नरम पड़ गए थे।
बनर्जी से बात करने के बाद उन्होंने कहा था, 'मैंने आज अभिषेक बनर्जी से बात की और उन्होंने उन मुद्दों को समझा जो मैंने उठाए थे। मैं कल दिल्ली नहीं जा रही हूं। मैं तृणमूल के साथ ही रहूंगी।' बता दें कि रॉय के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं जिसपर अब उन्होंने विराम लगा दिया है। अब पार्टी ने उन्हें उपाध्यक्ष का कार्यभार सौंपा है।
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में इस साल चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य में सियासी हलचलें काफी तेज हो चुकी हैं। ममता के सामने जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा यहां कमल खिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। हालांकि ममता बनर्जी की राह आसान नहीं है क्योंकि उनके कई नेता उनसे और पार्टी से नाराज हैं। कुछ पार्टी का साथ छोड़कर जा चुके हैं तो कुछ अभी नाराजगी बयान कर रहे हैं। इस फेहरिस्त में नया नाम जुड़ा है सांसद शताब्दी रॉय का।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद शताब्दी रॉय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पार्टी से अपनी नाराजगी बयां की। अभिनेत्री से नेता बनीं रॉय ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'मुझसे लोग पूछ रहे हैं कि मैं पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिख रही हूं। मुझे अपने लोगों के साथ रहना पसंद है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो नहीं चाहते कि मैं आप सबके साथ रहूं। अक्सर मुझे कार्यक्रमों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है, मैं क्या कर सकती हूं?'
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में तेजी से मजबूत हो रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रथ को रोकने के लिए हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत राय ने कांग्रेस और सीपीएम को टीएमसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की अपील की था। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने उन्हें अपनी पार्टी को मर्ज करने की नसीहत दे डाली। इस बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा है कि ममता बनर्जी समझ रही हैं कि बंगाल में भाजपा को रोकने के लिए उनके पास कोई चारा नहीं है। भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए ममता बनर्जी की नहीं बल्कि कांग्रेस की अगुवाई में आना आवश्यक है।
इससे पहले अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ टीएमसी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, ''हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है।
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