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मुंबई: चुनाव आयोग के फैसले के तहत शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न गंवाने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे अब अपने प्रति वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा बनाए रखने की योजना पर काम कर रहे हैं, इसके लिए वे "शिवसैनिक" खेमे में अधिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किए हैं। बता दें, शिवसेना के पास राज्यभर में बड़ा नेटवर्क है। पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद के तहत उद्धव ठाकरे "शिव शक्ति अभियान" शुरू करने के लिए नए सिरे से संपर्क करेंगे।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और उसे चुनाव चिह्न ‘‘धनुष एवं तीर'' आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के अलावा 'अपने' पास जो कुछ भी बचा है, उसे मजबूत करने की दिशा में यह उद्धव ठाकरे का शुरुआती कदमों में से एक है।
फिलहाल ठाकरे ने अनिच्छा से "शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे" नाम और "मशाल" प्रतीक चिह्न साथ रखा है। उद्धव ने सेना भवन में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "शिवसेना के लिए यह सबसे कठिन समय है।
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नई दिल्ली: शिवसेना का नाम-निशान पर चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद से महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचा है। ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फ़ैसले पर सवाल उठा रहा है। नाम-निशान बचाने की आख़िरी कोशिश में उद्धव गुट ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को दिए जाने के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका का जिक्र किया गया। उद्धव गुट के वकील ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए इस मामले पर सुनवाई की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वकील को इस मामले को कल मेंशन करने के लिए कहा है।
चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे तर्कों को पूरी तरह नजरअंदाज किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की गई। याचिका में कहा गया है। इस मुद्दे को तय करने के लिए ईसीआई द्वारा गलत मानदंड अपनाया गया। याचिका में कहा गया है कि ईसीआई ने 1999 के संविधान पर विचार किया जबकि 2018 का संशोधित संविधान लागू था।
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सियासत में पिछले दिनों खींचतान का जो दौर शुरू हुआ। वो अब तक खत्म होता नहीं दिख रहा है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण’ को भी उसे आवंटित कर दिया था। यह फैसला ठाकरे के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि उनके पिता बाल ठाकरे ने वर्ष 1966 में इस पार्टी की स्थापना की थी।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना' नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान' आवंटित किया था. अब इस मसले पर महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर से गर्मा चुकी है।
नाम-निशान पर चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद से महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचा है। ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फ़ैसले पर सवाल उठा रहा है। नाम-निशान बचाने की आख़िरी कोशिश में उद्धव गुट आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा। उद्धव ठाकरे ने आज दोपहर 12.30 बजे मुंबई के शिवसेना भवन में अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में ठाकरे गुट के सभी विधायकों और नेताओं के मौजूद रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
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मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' को "खरीदने" के लिए "2000 करोड़ रुपये का सौदा" हुआ है। हालांकि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे से विधायक सदा सर्वंकर ने दावे को खारिज कर दिया और पूछा, "क्या संजय राउत कैशियर हैं?" राउत ने एक ट्वीट में दावा किया कि 2,000 करोड़ रुपये एक प्रारंभिक आंकड़ा है और यह 100 प्रतिशत सच है। उन्होंने पत्रकारों को यह भी बताया कि सत्तारूढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने उनके साथ यह जानकारी साझा की है। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उनके दावे के समर्थन में सबूत हैं, जिसका खुलासा वह जल्द करेंगे।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और उसे 'धनुष और तीर' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया। अपने 78 पन्नों के आदेश में आयोग ने ठाकरे गुट को राज्य में विधानसभा उपचुनावों के पूरा होने तक आवंटित "धधकती मशाल" चुनाव चिह्न रखने की अनुमति दी।
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