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नई दिल्ली: शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट फिलहाल नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा नहीं करेगा। कोर्ट ने 2016 के पांच जजों के संविधान पीठ के फैसले को सात जजों के पास भेजने से इंकार कर दिया। इस फैसले से उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है। नबाम रेबिया में अरुणाचल प्रदेश मामले में दिए फैसले में कहा गया था कि स्पीकर तब तक किसी विधायक के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकता, जब खुद उसके खिलाफ पद से हटाए जाने की अर्जी लंबित हो।

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मुकेश आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने ये फैसला सुनाया। संविधान पीठ को ये तय करना था कि 2016 में संविधान पीठ के नेबाम रेबिया के फैसले को समीक्षा के लिए 7 जजों की बेंच में भेजा जाए या नहीं। गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच को भेजे जाने पर फैसला सुरक्षित रखा था।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ ने ही 2016 के अरूणाचल प्रदेश फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये बहुत पेचीदा संवैधानिक मसला है जिसका हमें फैसला करना है। नबाम रेबिया का फैसले में कुछ बदलाव की जरूरत है। हम ये नहीं कहेंगे कि 2016 का फैसला गलत था, लेकिन हम ये कह रहे हैं कि उसमें कुछ बदलाव कर मजबूत करने की जरूरत है।

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