आइजोल: मिजोरम में प्रमुख नागरिक संगठनों और छात्र संघों के संगठन ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यहां राजभवन में मुलाकात की और उन्हें नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को संसद से पारित नहीं किए जाने की मांग वाला ज्ञापन सौंपा। मिजोरम एनजीओ समन्यव समिति की ओर से जारी ज्ञापन में कहा गया है कि अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो मिजोरम समेत इसका विरोध करने वाले अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को इसके दायरे से बाहर रखना चाहिए।
समिति ने इससे पहले प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध में प्रदर्शन रैली आयोजित करने का फैसला किया था लेकिन बाद में उसने अपना फैसला बदल दिया और अपनी मांगों पर चर्चा के लिये शाह से मुलाकात की। शाह ने एक अक्टूबर को कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पारित किया जायेगा। विधेयक में भारत में सात साल रह चुके पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैन, ईसाइयों और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है और इसके लिये उन्हें कोई दस्तावेज भी नहीं देना होगा।
लोकसभा ने आठ जनवरी 2019 को नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किया, लेकिन राज्यसभा में इसे पेश नहीं किया जा सका और रद्द हो गया। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रस्तावित विधेयक के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और वह एक दिवसीय यात्रा पर मिजोरम पहुंचे। गृह मंत्री बनने के बाद पूर्वोत्तर राज्य की यह उनकी पहली यात्रा है।
एनजीओ संस्था की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शाह ने आश्वस्त किया कि मिजोरम में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली लागू है और प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक में इसे समाहित किया जायेगा। आईएलपी भारत सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो सीमित अवधि के लिये संरक्षित क्षेत्र में भारतीय नागरिकों को वहां यात्रा करने की अनुमति देता है। संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश के लिये पूर्व अनुमति लेना बाहरी राज्यों के संबंधित भारतीय नागरिकों के लिये जरूरी है।
फिलहाल इनर लाइन परमिट ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873’ के तहत जारी किया जाता है और यह अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम एवं नगालैंड में लागू है। हालांकि अलग-अलग राज्य में शर्तें एवं नियम अलग-अलग हैं।
बयान के अनुसार, ‘‘शाह ने कहा कि आईएलपी व्यवस्था को मजबूत किया जायेगा ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक के लागू होने के बावजूद राज्य में इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह सीमा सुरक्षा बल की एक बटालियन बनाने के लिए कदम उठाएंगे जिसमें मिजो लड़कों को भर्ती का मौका मिले और म्यामां और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा को पुख्ता किया जा सके।