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फतेहाबाद: भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (इनेलो) की ओर से हरियाणा के फतेहाबाद में रविवार को विपक्ष की एक शंखनाद रैली हुई है। इस रैली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, माकपा के सीताराम येचुरी और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल समेत विपक्ष के कई नेता शामिल हुए। विपक्ष की इस रैली को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि बिहार में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार पहली बार विपक्ष के किसी बड़े मंच पर नजर आए हैं।

रैली को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, मैं कांग्रेस समेत सभी दलों से एकसाथ आने की अपील करता हूं, तभी 2024 के लोकसभा चुनाव में वह (भाजपा) बुरी तरह से हारेगी। उन्होंने कहा, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई लड़ाई नहीं है, वह (भाजपा) अशांति पैदा करना चाहती है। मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं हूं; तीसरे मोर्चे का सवाल ही नहीं उठता, कांग्रेस को साथ लेकर एक मोर्चा होना चाहिए, तभी हम 2024 में भाजपा को हरा सकते हैं।

पवार ने उठाया किसानों का मुद्दा

वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर धरना दिया, लेकिन सरकार ने लंबे समय तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। सरकार ने किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का वादा किया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा, सभी के लिए 2024 में सत्ता परिवर्तन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने का समय आ गया है; किसानों, युवाओं का आत्महत्या करना कोई समाधान नहीं है। इस रैली को लेकर सवाल यह उठ रहा है कि आखिरी नीतीश कुमार और शरद पवार विपक्षी एकता को मजबूत कर पाएंगे या फिर बीच में ही फूट पड़ जाएगी।

कांग्रेस पर टिकी हैं सबकी निगाहें

बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) नहीं है, शिवसेना, अकाली दल और जद (यू) जैसे भाजपा के सहयोगी दलों ने लोकतंत्र को बचाने के लिए इसका साथ छोड़ दिया है। इस रैली में विपक्ष एकजुट जरूर नजर आया लेकिन इसमें कांग्रेस की ओर से कोई चेहरा नजर नहीं आया। न हीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का कोई नेता दिखाई दिया। हालांकि, इन दोनों पार्टियों की ओर से रैली में शामिल होने या फिर न होने को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

सोनिया गांधी से मिल सकते हैं नीतीश और पवार

इतने सारे 'क्षत्रपों' के एक साथ एक मंच पर आने को 'विपक्षी एकता' को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। खबर यह भी है रैली के बाद नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इस प्रकिया को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। बीजेपी के साथ पिछले कुछ समय से चौधरी बीरेंद्र सिंह के रिश्तों में खटास आई है। हालांकि, उनके बेटे पार्टी की ओर से हरियाणा के हिसार से लोकसभा सदस्य हैं।

हरियाणा में इनेलो के लिए अस्तित्व की लड़ाई

इनेलो के लिए यह रैली शक्ति प्रदर्शन का एक मौका रहा। दरअसल, ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला द्वारा इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी (जजपा) बनाकर भाजपा को समर्थन देने के बाद से पार्टी हरियाणा में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जजपा पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो के अधिकतर पारंपरिक मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में सफल रही थी। रैली से पहले इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला ने कहा था, 'देशभर से विपक्षी दलों के नेता इस रैली में एक मंच पर होंगे, जिससे 2024 के आम चुनाव से पहले सभी दलों के बीच एकता को मजबूती मिलेगी।'

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