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चंडीगढ़: हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास किसानों ने धान की जल्दी खरीद की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए हाईवे नंबर 44 को जाम कर दिया था। हालांकि, हरियाणा सरकार ने उनकी मांग मान ली है, जिसके बाद किसान हाईवे से हटने के लिए राजी हो गए हैं। कानून और व्यवस्था को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की खिंचाई के बाद सरकार ने किसानों से बातचीत की। हाईवे ब्लॉक की वजह से करीब 21 घंटे तक यातायात बाधित रहा।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन चरुनी के गुरनाम सिंह चरुनी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अब कहा है कि अनाज मंडियों से धान को उठा लिया जाएगा। हालांकि, आधिकारिक खरीद 1 अक्टूबर से ही शुरू होगी, जिसका एलान सरकार ने पहले ही कर दिया था। उन्होंने कहा कि अब यह उनकी परेशानी है कि वे इसे कहां स्टोर करेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच जिलों में जहां उपज ज्यादा हुई है, वहां खरीद की सीमा बढ़ाकर 22 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी है।

उन्होंने कहा कि कई अन्य जिलों में इसे बढ़ाकर 28 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया गया है।

हरियाणा सरकार को कोर्ट ने कहा था कि हाईवे को तुरंत खुलवाया जाए, ताकि लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।

आधी रात को हुई सुनवाई में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन को स्थिति को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए थे। कोर्ट ने राज्य को कानून व्यवस्था को और बिगड़ने से रोकने का निर्देश देते हुए सावधानी बरतने की भी सलाह दी। कोर्ट ने कहा था, 'बल प्रयोग का सहारा अंतिम विकल्प होना चाहिए और वह भी तब तक जब तक प्रशासन के पास कोई दूसरा रास्ता न हो।'

कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक सुरिंदर सिंह भोरिया ने कहा कि सभी डायवर्जन हटा दिए गए हैं और यातायात अब शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि हमने किसानों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले को सुलझा लिया है।

किसानों को डर था कि उमस और बारिश से उनकी धान की फसल खराब हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास भंडारण की जगह नहीं है, इसलिए राज्य सरकार खरीद की तारीख आगे बढ़ानी चाहिए।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि अंबाला, कैथल और अन्य जिलों में अनाज मंडियों में "नमी" की वजह से सैकड़ों क्विंटल अनाज खराब हो गया है।

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