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चंडीगढ़: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के 26 नवंबर के राष्ट्रव्यापी दिल्ली कूच से पहले ही हरियाणा में किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू हो गई है। वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के साथ लगने वाली राज्य की सीमाएं 26 और 27 नवंबर को बंद रहेंगी। इस बीच, हरियाणा पुलिस ने जनता के लिए एडवाइजरी जारी कर उनसे अपनी यात्रा योजनाओं को संशोधित करने की अपील की है। खट्टर ने कहा कि लोगों को दो दिन के लिए पंजाब के साथ लगने वाली राज्य की सीमाओं पर यात्रा करने से बचने की सलाह दी गई है क्योंकि ये सीमाएं सील रहेंगी।

हरियाणा सरकार ने यात्रियों की सुविधा के लिए एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि 25 और 26 नवंबर को सड़क द्वारा पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने वाले स्थानों तथा 26 और 27 नवंबर को हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले स्थानों पर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए पुलिस विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि विभिन्न किसान संगठनों ने 26 और 27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया गया है। उसके मद्देनजर राज्य में नागरिक और पुलिस प्रशासन ने कानून व्यवस्था, यातायात और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। इन प्रबंधों का उद्देश्य प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखना, किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने और सार्वजनिक शांति बनाए रखने, यातायात और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के कामकाज को सुविधाजनक सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण लागू होने वाले निर्देशों को भी ध्यान में रखा गया है।

इन रास्तों पर रहेगी सख्ती

प्रवक्ता के अनुसार, पुलिस विभाग को मिली सूचनाओं के अनुसार दिल्ली जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों द्वारा विभिन्न सीमा रास्तों से होते हुए पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने की सम्भावना है। इसके अलावा, हरियाणा से दिल्ली जाने वाले प्रदर्शनकारियों का मुख्य फोकस चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग अंबाला-दिल्ली, हिसार-दिल्ली, रेवाड़ी-दिल्ली और पलवल-दिल्ली होंगे। अंबाला जिले के शंभू बॉर्डर, भिवानी जिले के मुढ़ाल चौक गांव, करनाल जिले की घरौंडा अनाज मंडी, झज्जर जिले के बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर तथा सोनीपत जिले के राई राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में भी प्रदर्शनकारियों द्वारा एकत्रित होने का एक विशेष आह्वान किया गया है।

प्रवक्ता के अनुसार उचित कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा पंचकूला, अंबाला, कैथल, जींद, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में सड़कों के माध्यम से पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने वाले सीमा रास्तों पर 25, 26 और 27 नवंबर को यातायात को मोड़ा जा सकता है या सड़क को अवरुद्ध किया जा सकता है। इसी प्रकार, दिल्ली की ओर जाने वाले चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों, यानी अंबाला से दिल्ली, हिसार से दिल्ली, रेवाड़ी से दिल्ली और पलवल से दिल्ली की तरफ भी अंबाला जिला के शंभू बॉर्डर, भिवानी जिला के गांव मुढ़ाल चौक, करनाल जिला की घरौंडा अनाज मंडी, झज्जर जिला के बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर तथा सोनीपत जिला के राई राजीव गांधी एजुकेशन सिटी से ट्रैफिक को डाइवर्ट किया जा सकता है या सड़क को अवरुद्ध किया जा सकता है।    

इन किसान नेताओं को हिरासत में लिया  

हिसार, फतेहाबाद, झज्जर, यमुनानगर, भिवानी, करनाल, सिरसा और रोहतक जिलों में सोमवार देर रात दो बजे से मंगलवार सुबह चार बजे के बीच पुलिस ने दो दर्जन से अधिक किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने अलग-अलग जगहों से अखिल भारतीय किसान सभा के नेता सुरेन्द्र काला को अग्रोहा, अमित ढाका को श्यामसुख, मियां सिंह को बिठमड़ा, रमेश कुमार को उकलाना, सूबे सिंह बूरा को कैमरी रोड़ हिसार, सुखबीर को बिचपड़ी, विकास सीसर और सोमबीर को भगाना गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा पुलिस ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में छापेमारी कर किसान नेता डॉ. भूप सिंह को नया गांव, सुरेश कोथ को फतेहाबाद जिले के रतिया, कामरेड रामचंद्र झज्जर, कामरेड रामचंद्र यादव, सूबेदार सत्यनारायण झज्जर, एसपी सिंह खुईया, गुरभजन सिंह, प्रदीप धनखड़ बहादुरगढ़, सुभाष गुर्जर यमुनानगर, रमेश तोशाम, बलबीर ठाकन भिवानी, सत्यवान नरवान, रतन मान करनाल, प्रहलाद भैरू खेड़ा सिरसा, अनिल नांदल रोहतक को गिरफ्तार किया गया है।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन (सीटू) और किसान सभा के नेताओं कामरेड सुरेश कुमार, मनोज सोनी और मोहनलाल राजली ने किसान नेताओं की इन गिरफ्तारियों पर कड़ा रोष जताया है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए किसान नेताओं को बिना शर्त तुरंत रिहा किया जाए।

जिला किसान सभा ने अपने नेताओं को गिरफ्तार किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उन्हें अविलम्ब रिहा करने की मांग की है। किसान नेता रमेश मिरकां ने सरकार से मांग की है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले, किसानों को कर्जमुक्त करे और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे। 

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