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चंडीगढ़ (जनादेश ब्यूरो): सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर केंद्र की राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में मतभेद साफ तौर तौर चंडीगढ़ (जनादेश ब्यूरो): सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर केंद्र की राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में मतभेद साफ तौर उभरते नजर आ रहे हैं। एनडीए में भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को इस्‍तीफा दे दिया। जिसके बाद एनडीए के एक और सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर साथ छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है। हरियाणा में भाजपा और जेजेपी की सरकार है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको भी कम से कम डिप्टी सीएम की पोस्ट से इस्तीफा दे देना चाहिए। आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है।'

वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया, 'पंजाब के अकाली दल, आप ने संसद में कांग्रेस के साथ किसान विरोधी 3 अध्यादेशों का विरोध करने का साहस दिखाया, पर दुर्भाग्य कि हरियाणा के भाजपा, जेजेपी नेता सत्ता-सुख के लिए किसान से विश्वासघात करने में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा, जब पंजाब के सब दल किसान के पक्ष में एक हो सकते हैं तो हरियाणा भाजपा-जेजेपी क्यूँ नहीं? अकाली हरसिमरत जी के इस्तीफे के बाद इस प्रश्न को और बल मिलता है- जब पंजाब के सारे दल किसान के पक्ष में एक होकर केंद्र के इन किसान-घातक अध्यादेशों के विरोध में आ सकते हैं, तो हरियाणा के सत्तासीन भाजपा-जेजेपी नेता क्यूँ किसान से विश्वासघात कर रहे हैं? किसान-हित से ऊपर सत्ता-लोभ।'

पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में जेजेपी में एक से ज्यादा समानताएं हैं। राजनैतिक रिश्तों की बात करें तो बादल परिवार और चौटाला परिवार पारिवारिक मित्र हैं। किसान अध्यादेश का विरोध करने के दौरान सुखबीर सिंह बादल ने बड़े किसान नेता देवीलाल को भी याद किया था। यह भी माना जाता है कि हरियाणा में भाजपा और जेजेपी का गठबंधन कराने में बादल परिवार का अहम रोल था। एसएडी और जेजेपी, दोनों ही पार्टियों का अपना ग्रामीण वोट बैंक है। किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। जेजेपी इस किसान बिल का समर्थन कर रही है और उसने कांग्रेस पर किसानों को बहकाने का आरोप लगाया है, लेकिन अब किसानों के मुद्दे पर पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ती जा रही है।

10 सितंबर को किसान कुरुक्षेत्र जिले में इस विधेयक का विरोध करने को रैली के लिए पहुंचे थे। पुलिस ने उन्हें रोक दिया था और किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए। जिसके बाद विपक्ष ने किसानों की आवाज दबाने की बात कहते हुए सरकार पर हमला बोला। हरियाणा सरकार को समर्थन दे रहे जेजेपी विधायक भी अब आशंकित नजर आ रहे हैं। उन्होंने पीपली में हुए किसानों पर हमले को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि पहले उनको (किसानों) रोका गया और बाद में इजाजत दे दी गई।

जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली ने पार्टी में बदलाव की मांग की है। उन्होंने कहा, 'पार्टी के 10 विधायक असंतुष्ट हैं।' बबली जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम के बाद दूसरे ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने पार्टी में दुष्यंत चौटाला की अगुवाई में असंतुष्टि जाहिर की है। दुष्यंत राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं। पिछले हफ्ते बबली की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिसमें वह विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। लाठीचार्ज मामले में जहां दुष्यंत चौटाला ने जांच के आदेश दिए जाने की बात कही है, तो वहीं हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कुरुक्षेत्र में किसी तरह का लाठीचार्ज होने से ही इंकार किया है। उनके इंकार के बाद किसानों ने उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया।

राजनैतिक नुकसान को देखते हुए जेजेपी ने लाठीचार्ज को लेकर किसानों से माफी मांगी है। दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला जोकि जेजेपी की यूथ विंग आईएनएसओ के अध्यक्ष हैं, ने कहा, 'किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर जेजेपी माफी मांगती है। जेजेपी हमेशा किसानों के साथ है और किसानों के हित की बात पार्टी के लिए सबसे ऊपर है। किसानों पर हुए लाठीचार्ज के वीडियो को देखने के बाद हमने सबसे पहले इसकी निंदा की क्योंकि ये गलत था।' बता दें कि दुष्यंत चौटाला ने अभी तक इस किसान विधेयक का विरोध नहीं किया है। यह बिल गुरुवार को लोकसभा में पारित हो चुका है। बहरहाल यह पहला मौका है जब पार्टी बैकफुट पर नजर आ रही है, लेकिन एक सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या किसानों का दिल जीतने के लिए चौटाला परिवार भी बादल परिवार के नक्शेकदम पर चलेगा।

 

 

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