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चंडीगढ़: हरियाणा में भाजपा (भाजपा) की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख एवं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मंगलवार को दिल्ली में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। इससे एक दिन पहले ही भाजपा की एक और पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भी दिल्ली चुनाव से किनारा कर लिया था। दुष्यंत चौटाला ने राष्ट्रीय राजधानी का विधानसभा चुनाव न लड़ने के लिए चुनाव चिन्ह का हवाला दिया।

चौटाला ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी उम्मीदवार नहीं उतारेगी, क्योंकि चुनाव चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और जजपा इतने कम समय में नए चिन्ह पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है। दुष्यंत ने ट्वीट किया, 'दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए हमने चुनाव आयोग से चाबी या चप्पल का चुनाव चिन्ह दिए जाने का आग्रह किया था, जो किसी अन्य संगठन को दे दिए गए। ऐसे में जननायक जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों न लड़ने का फैसला लिया है।' आपको बता दें कि हरियाणा में भाजपा की सत्ता में भागीदार जेजेपी ने पिछला चुनाव चाबी केे चुनाव चिन्ह पर लड़ा था। पहले पार्टी ने चुनाव लड़ने की घोषणा भी की थी। 

 

भाजपा के सहयोगी शिअद ने सीएए पर छोड़ा साथ

भाजपा के एक अन्य सहयोगी शिअद ने भी एक दिन पहले ही चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी। शिअद ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर अपनी असहमति के चलते चुनाव से दूरी बनाई। विवादास्पद मुद्दे पर दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे को समझाने के दो दिनों के प्रयास के बाद शिअद ने सोमवार को घोषणा की कि वह चुनाव से दूर रहना पसंद करेगी।

केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल अकाली दल ने न केवल प्रस्तावित देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध किया है, बल्कि पार्टी चाहती है कि केंद्र सरकार सीएए में मुसलमानों को भी शामिल करे। सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने शिअद को तीन सीटों की पेशकश की थी, लेकिन उसने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर चुनाव से दूरी बनाने में ही अपनी भलाई समझी। 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में सिख समुदाय के 4.43 फीसदी लोग हैं। राष्ट्रीय राजधानी में सिख समुदाय का प्रभाव काफी कम है।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शिअद के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसने सीएए को लेकर भाजपा के साथ मतभेदों के कारण चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने इस पर मंगलवार को अकाली दल को चुनौती दी कि वे कानून के संबंध में अपनी ईमानदारी साबित करने के लिए केंद्र से गठबंधन को छोड़ दें।

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