चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने फरवरी में हुए जाट आंदोलन के दौरान हिंसा की घटनाओं की साजिश की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस एन झा के नेतृत्व में आज (शुक्रवार) एक दो सदस्यीय जांच आयोग के गठन की घोषणा की। हिंसा में 30 लोग मारे गए थे और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा था। आयोग से उसकी पहली सुनवाई की तारीख से छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। यहां जारी की गयी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार आयोग ‘‘18 से 23 फरवरी, 2016 के बीच रोहतक, झज्जर, सोनीपत, जींद, हिसार, कैथल और भिवानी में हुई हिंसा की घटनाओं में लोगों के मारे जाने, सड़कों, नहरों, रेलवे स्टेशनों, पुलिस थानों सहित निजी एवं सार्वजनिक संपत्तियों को पहुंचे नुकसान, पेड़ों को गैरकानूनी रूप से गिराने एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों और घटनाओं के अनुक्रम’’ की जांच करेगा। आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि क्या समाज के तानेबाने को चोट पहुंचाने की कोई ‘गहरी’ साजिश रची गयी था या कुछ और किया गया था जो जांच के दौरान प्रासंगिक पाया जाए।
पूर्व आईपीएस अधिकारी एन सी पाधी आयोग के दूसरे सदस्य हैं। पाधी भारत सरकार के सुरक्षा सचिव रह चुके हैं। गत 22 मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में घोषणा की थी कि जाट आंदोलन के दौरान आगजनी और अशांति की हालिया घटनाओं की जांच के लिए एक न्यायिक जांच का आदेश दिया जाएगा।