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गुरुग्राम: राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में उत्तराखंड निवासी एक किरायेदार को पेइंग गेस्ट हाउस से कथित तौर पर मकान मालिक और अन्य लोगों ने चौथी मंजिल से धक्का दे दिया। इससे उत्तराखंड के बिंदू खत्ता नैनीताल निवासी किराएदार रमेश सिंह बिष्ट की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी मकान मालिक सतबीर सिंह, ठेकेदार सुशील एवं करीब आधा दर्जन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने इस मामले में ठेकेदार सुशील एवं उसके साथी शीषराम को गिरफ्तार भी कर लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस के मुताबिक रमेश सिंह बिष्ट शहर में रैपिड मेट्रो का संचालन करने वाली कंपनी आईएलएफएस के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करता था। उसे इंस्टीट्यूट की तरफ से ही हॉस्टल के रूप में डीएलएफ फेज तीन के यू ब्लाक में अवैध रूप से संचालित पीजी में रखा गया था। इस पीजी में रमेश के साथ इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले 29 अन्य बच्चे भी रह रहे थे। इनमें से एक छात्र किशन सिंह ने पुलिस में शिकायत दी है। उसने बताया कि बुधवार को इंस्टीट्यूट से लौटने के बाद वह सभी लोग सोने की तैयारी कर रहे थे।

इतने में करीब साढ़े 11 बजे मकान मालिक सतबीर सिंह अपने बेटे के साथ ऊपर आया और उनसे तत्काल मकान खाली करने को कहा। चूंकि रात काफी हो गई थी, ऐसे में छात्रों ने उसका विरोध किया। इतने में सतबीर ने नीचे से अपने दोनों बेटों के अलावा ठेकेदार सुशील एवं करीब दस अन्य लोगों को लाठी डंडों के साथ ऊपर बुला लिया। इन लोगों ने ऊपर आते ही सभी छात्रों की बुरी तरह पिटाई की। उनकी पिटाई से बचते-बचते रमेश बालकानी में किनारे आ गया। इतने में एक युवक ने धक्का दे दिया, जिससे वह पांचवीं मंजिल से नीचे जा गिरा। बताया जाता है कि मकान मालिक एवं पीजी ठेकेदार ने पहले भी कई बार उन लोगों के साथ मारपीट की है। अभी तीन दिन पहले ही सतबीर एवं सुशील ने पीजी में रह रहे चार छात्रों के साथ बुरी तरह मारपीट की थी। इस संबंध में छात्रों ने पूरी सूचना इंस्टीट्यूट प्रबंधन को दे दी थी, बावजूद इसके इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। छात्रों के मुताबिक आईएलएफएस ने आवासीय सुविधा के नाम पर सभी छात्रों से 18 से 20 हजार रुपये तक वसूल करता है। जबकि महज सात से आठ हजार के पीजी में सभी छात्रों को रखा गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि पीजी की विभिन्न समस्याओं को लेकर उन्होंने कई बार इंस्टीट्यूट प्रबंधन एवं पीजी मालिक से शिकायत भी की, लेकिन हर बार शिकायत करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। किसन के मुताबिक इंस्टीट्यूट में उनका बैच पिछले महीने 28 जून को ही शुरू हुआ है। 28 जून को ही इंस्टीट्यूट की ओर से उन्हें यह पीजी भी आवंटित किया गया है। तब से वह यहां रह रहे थे। उसने बताया कि इस बैच में सभी बच्चे उत्तरांखंड के है। इनमें से ज्यादातर उसके गांव से ही है। उसने बताया कि कंपनी वालों ने खुद को सरकार कंपनी बताते हुए उन्हें प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया था।

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