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नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'विकसित भारत संपर्क' के तहत व्हाट्सएप संदेश भेजना तुरंत बंद करे। दरअसल, बीते दिन बड़ी संख्या में लोगों को 'विकसित भारत संपर्क' के तहत व्हाट्सएप संदेश भेजे गए थे। इसका मकसद सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है। मामले की शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश जारी किए।

चुनाव आयोग ने कहा कि यह कदम चुनाव में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। यह आयोग की ओर से उठाए जा रहे जरूरी कदमों का हिस्सा है। आयोग ने मंत्रालय से इस मामले पर अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है।

इससे पहले मंत्रालय ने आयोग को सूचित किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र के साथ जारी संदेश 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले भेजे गए थे। कुछ संदेश शायद नेटवर्क संबंधी कारणों की वजह से कुछ लोगों तक देरी से पहुंचे।

नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग को सौंप दी है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाते हुए जानकारी देने को कहा था। जिसके बाद एसबीआई ने सीरियल नंबर के साथ चुनावी बॉन्ड के सभी विवरण को चुनाव आयोग को सौंपा है, जो दानकर्ताओं और बॉन्ड को भुनाने वाली पार्टियां के साथ मिलान करने में मदद करेगा। उम्मीद है कि जल्द चुनाव आयोग अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी जानकारी सार्वजनिक करेगा।

एसबीआई ने दाखिल किया हलफनामा

भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल किया है। अदालत में दिए गए हलफनामे में बताया कि उसने चुनावी बॉन्ड के मूल्य और विशिष्ट संख्या दर्शाने वाली जानकारी का खुलासा किया है। हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते दानकर्ताओं के केवाईसी विवरण को सार्वजनिक नहीं किया गया है। साथ ही, कहा कि संपूर्ण बैंक एसी नंबर, राजनीतिक पार्टियों के केवाईसी विवरण साइबर सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं किए गए है।

नई दिल्ली: फ़ैक्ट-चेक यूनिट को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। केंद्र द्वारा फेक न्यूज की चुनौती से निपटने के लिए" प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत तथ्य जांच इकाई को अधिसूचित करने के एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अधिसूचना पर रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च के हाईकोर्ट के रोक न लगाने के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट में नए आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, इसमें मुख्य तौर पर बोलने की आजादी का मुद्दा उठाया गया है।

अदालत ने कहा कि हम इस केस में मेरिट पर कुछ नहीं कहना चाहते इस पर फैसला हाईकोर्ट को करना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब तक नियमों पर रोक रहेगी। यह फैसला सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिया है।

केन्द्र सरकार के नए आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाएं गुरुवार को खारिज कर दीं। जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यालय शर्तें) अधिनियम, 2023 की वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं पर गौर करेगी।

नए कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पीठ ने कहा कि इस समय हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं। इससे अव्यवस्था और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी। हम अंतरिम आदेश के जरिए इस पर रोक नहीं लगा सकते। नए निर्वाचन आयुक्तों पर तो कोई भी आरोप नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है। देश में बहुत अच्छे चुनाव आयुक्त रहे हैं।

सुनवाई के दौरान पीठ ने दो नए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर केंद्र से सवाल किया। कोर्ट ने चयन समिति को और अधिक समय दिए जाने की बात कही।

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