नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को इशरत जहां मामले में लापता कागजों की जांच कर रहे अधिकारी प्रमुख द्वारा गवाह को सवालों के जवाब देने की ट्रेनिंग दिये जाने की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की कड़ी वकालत की। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार इशरत मामले में लापता फाइलों पर रिपोर्ट ‘गढ़’ रही है। उन्होंने कहा कि यह फिक्सिंग सरकार के 'डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट' की है, जिसका समन्वय पीएमओ करता है। उन्होंने कहा, 'जांच फिक्स है। यह एक साधारण शो था। देश को अब समझना होगा कि पीएमओ के समन्वय में हमारे यहां एक डर्टी ट्रिक्स विभाग है।' उन्होंने दावा किया कि पूरा प्रयास मामले में गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष मुद्दों से ध्यान भटकाने का है। शर्मा ने यह दावा इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के बाद किया है, जिसमें बताया गया है कि गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बीके प्रसाद ने अप्रैल में इसी मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी को सिखाया कि वह कौन से सवाल उनसे पूछेंगे और उन्हें जवाब देना चाहिए कि उन्होंने कथित लापता कागजात को कभी देखा ही नहीं। खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए चिदंबरम ने कहा कि खबर में फर्जी विवाद का व्यापक भंडाफोड़ हुआ है जिसे एनडीए की सरकार ने मामले में केंद्र सरकार की तरफ से दायर दो हलफनामे पर तैयार किया था।
शर्मा ने दुख जताया कि सरकार गृह मंत्रालय के अंदर महज दिखावे के लिए जांच करा रही है और उन्हें फिक्स भी किया जा रहा है क्योंकि वे मामले में आरोपी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। शर्मा ने कहा, 'वे चाहते हैं कि यह मामला, जिसे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और गुजरात उच्च न्यायालय ने फर्जी मुठभेड़ बताया है, खत्म हो जाए।' उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इसका स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि दस्तावेज महज गृह मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल के बीच गुम नहीं हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया, 'एक बात निश्चित है कि उन्होंने दस्तावेजों से छेड़छाड़ की है।' कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने संसद में फोन टैपिंग के मुद्दे को उठाया था और आरोप लगाया कि नेताओं, उद्योगपतियों और यहां तक कि न्यायाधीशों के फोन टैप किए जा रहे हैं। 'डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट' के काम के बारे में उन्होंने कहा, 'उनका काम कुछ एजेंसियों को सूचना लीक करना, रिपोर्ट्स के साथ छेड़छाड़ करना, राजनीतिक विरोधियों को कुचलना और शीर्ष अधिकारियों की निगरानी करना है।' शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करना चाहिए, संज्ञान लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान का सम्मान हो और कानून का पालन हो चाहे इसमें कोई भी मुद्दा, मामला और हस्तियां शामिल रही हों क्योंकि इसे इस सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता।