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वॉशिंगटन: अमेरिकी संसद ‘कांग्रेस’ की स्वतंत्र शोध शाखा कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के ‘फुल स्पेक्ट्रम डेटरेंस’ परमाणु सिद्धांत और परमाणु सामग्री के उत्पादन की बढ़ती क्षमता ने भारत के साथ उसके परमाणु टकराव के जोखिम को बढ़ा दिया है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के लिए पाकिस्तान की ओर से जुटाए जा रहे समर्थन के बीच सीआरएस ने यह रिपोर्ट दी है। ‘कांग्रेस’ के दोनों सदनों को नीतिगत एवं कानूनी विश्लेषण मुहैया कराने वाली सीआरएस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘इस्लामाबाद की ओर से अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने, नए प्रकार के परमाणु हथियारों का विकास करने, और ‘फुल स्पेक्ट्रम डेटरेंस’ नाम के एक सिद्धांत को अपनाने पर कुछ पर्यवेक्षकों ने पाकिस्तान और अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे भारत के बीच परमाणु संघर्ष का जोखिम बढ़ने को लेकर चिंता जताई है।’ परमाणु अप्रसार विश्लेषक पॉल के केर्र और अप्रसार मामलों की विशेषज्ञ मेरी बेथ निकिटिन की ओर से लिखी गई रिपोर्ट ‘पाकिस्तान के परमाणु हथियार’ में कहा गया कि पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार में संभवत: 110-130 परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार के बारे में माना जाता है कि उसे तैयार ही इस तरह किया गया है कि भारत को उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने से रोका जा सके। सीआरएस अमेरिकी सांसदों के हितों के मुद्दों पर नियमित तौर पर रिपोर्ट तैयार करती है।

ये रिपोर्टें सिर्फ सूचना के लिए होती हैं और अमेरिकी ‘कांग्रेस’ की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करती। सीआरएस ने 30 पन्नों की यह रिपोर्ट ऐसे समय में दी है जब पाकिस्तान अमेरिकी कैपिटल हिल और अमेरिका सरकार के सामने एनएसजी सदस्यता के लिए लॉबीइंग कर रहा है।

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