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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से संपत्ति को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत में तीन जजों की पीठ ने गुजरात के नागरिक निकाय को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश भी दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले में आरोपी के घर को बुलडोजर से गिराने की धमकी नहीं देने का आदेश दिया। अदालत ने साफ किया कि अपराध में आरोपी की कथित संलिप्तता संपत्ति को ध्वस्त करने का कोई आधार नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, इस देश में कानून का शासन है। राज्य सरकार की कानूनी कार्रवाई भी संविधान के दायरे में होती है। ऐसे में अगर परिवार का एक सदस्य गलत करता है तो संपत्ति ध्वस्त करने जैसी कार्रवाई कर अन्य सदस्यों या पूरे परिवार को आपराधिक कृत्यों की सजा नहीं दे सकते। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि संपत्ति विध्वंस की धमकियां कानून के शासन वाले राज्य और देश में कल्पना से परे है। अदालत ने कहा कि वह ऐसी कार्रवाइयों से बेखबर नहीं रह सकती, जिन्हें 'देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने' के रूप में देखा जा सकता हो।

तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी भी कथित अपराध को अदालत में उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से साबित किया जाना चाहिए।

यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश, एक महीने बाद होगी सुनवाई

पीठ ने गुजरात सरकार और राज्य के खेड़ा जिले के कठलाल नागरिक निकाय को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा। जावेदली एम सैयद नाम के याचिकाकर्ता ने विध्वंस से सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाई थी। अदालत ने याचिकाकर्ता की संपत्ति के संबंध में सभी संबंधित पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने मामले की जांच करने पर सहमति जताई और इसे एक महीने बाद सूचीबद्ध किया।

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