नई दिल्ली: भारत ने एफडीआई की नीति में बहुत बड़े बदलाव किए हैं। इसके तहत अब रक्षा, उड्डयन से लेकर ई कॉमर्स तक के क्षेत्र में 100 फ़ीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है। इसके अलावा और भी कई क्षेत्रों में एफडीआई नीति में ढील दी गई है। यह फ़ैसला आज (सोमवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। जिन अन्य क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार किया गया है उनमें खाद्य उत्पादों का ई-कामर्स क्षेत्र, प्रसारण कैरेज सेवाएं, निजी सुरक्षा एजेंसियां तथा पशुपालन शामिल हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब एक छोटी ‘नकारात्मक’ सूची को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्र में एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग के तहत की जा सकती है। इन बदलावों के बाद अब भारत एफडीआई के मामले में दुनिया में सबसे खुली अर्थव्यवस्था होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में एफडीआई व्यवस्था को और उदार करने का फैसला किया गया। इसका मकसद देश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देना है। यह एफडीआई क्षेत्र में दूसरा प्रमुख सुधार है। इससे पहले केंद्र ने पिछले साल नवंबर में विदेशी निवेश व्यवस्था में उल्लेखनीय रूप से ढील दी थी। इन प्रमुख फैसलों के तहत सरकार ने अनुसूचित (नियमित समय-सारिणी पर चलने वाली) हवाई परिवहन सेवाओं - नियमित समय सारिणी के अनुसार परिचालित यात्री-सेवा एयरलाइनों तथा क्षेत्रीय हवाई परिवहन सेवा में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है।
इस नई व्यवस्था में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति स्वत: मंजूर मार्ग से तथा उसके ऊपर की हिस्सेदारी सरकार की मंजूरी लेकर की जा सकेगी। फिलहाल अनुसूचित एयरलाइंस में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। प्रवासी भारतीयों के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति बनी रहेगी। बयान में कहा गया है कि विदेशी एयरलाइनों को भारत में अनुसूचित तथा गैर अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं का परिचालन करने वाली भारतीय कंपनियों में उनकी चुकता पूंजी के 49 प्रतिशत के बराबर निवेश की अनुमति बनी रहेगी। इसके लिए उन्हें मौजूदा नीति में तय शर्तों को पूरा करना होगा। मौजूदा हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण तथा उच्च मानदंड स्थापित करने और हवाई अड्डों का दबाव कम करने के लिए पुराने अड्डों की परियोजनाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। अभी तक पुराने हवाई अड्डों में 74 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। रक्षा क्षेत्र के लिए उन मामलों में मंजूरी मार्ग से 49 प्रतिशत से ऊपर भी एफडीआई की अनुमति दी गई है जिनसे देश को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हो सकती है। सरकार ने ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी के प्रावधान को समाप्त कर दिया है। रक्षा क्षेत्र में अब तक 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के प्रस्ताव पर पहले मामला दर मामला आधार पर मंजूरी मार्ग से किया जा सकता था बशर्ते उससे देश को ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी मिल सके। रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत छोटे हथियारों और अन्य युद्ध सामग्रियों गोला बारूद आदि बनाने वाले उद्योगों पर भी लागू किया गया है। एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र (एसबीटीआर) के बारे में स्थानीय स्तर पर खरीद के नियम को उदार कर छूट की अवधि तीन साल की गई है। वहीं ऐसी इकाइयों के लिए, जो ऐसे उत्पादों का एकल ब्रांड खुदरा कारोबार कर रही हैं जो ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी वाले हैं, यह सीमा पांच साल की गई है। फार्मास्युटिकल क्षेत्र के संवर्धन तथा विकास के लिए पुरानी परियोजनाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का फैसला किया गया है। वहीं 74 प्रतिशत से अधिक के लिए मंजूरी मार्ग की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी। मौजूदा नीति के तहत नई फार्मा परियोजना में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। वहीं पुरानी परियोजनाओं में सरकार से मंजूरी के बाद 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। निजी सुरक्षा एजेंसियों के संदर्भ में स्वत: मंजूरी मार्ग से अब 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी, जबकि सरकार से मंजूरी के मार्ग के जरिये 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। अभी मौजूदा नीति के तहत निजी सुरक्षा एजेंसियों में सरकारी मंजूरी मार्ग से 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। सरकार ने इसके साथ ही टेलीपोर्ट्स, डायरेक्ट टु होम (डीटीएच), केबल नेटवर्क, मोबाइल टीवी और हेडएंड इन द स्काई प्रसारण सेवा जैसी प्रसारण-कैरेज (वाहक) सेवाओं की कई शाखाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी है। हालांकि, बयान में स्पष्ट किया गया है ऐसी कंपनी में 49 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति लेनी पड़ेगी जो इसके लिए संबंधित मंत्रालय से लाइसेंस-अनुमति नहीं मांग रही हो और उसमें इस तहर के निवेश स्वामित्व का स्वरूप बदलता हो या वर्तमान निवेशक अपनी हिस्सेदारी विदेशी निवेशक को दे रहा हो। खाद्य उत्पादों के विनिर्माण को प्रोत्साहन के लिए सरकार ने देश में विनिर्मित उत्पादों की ट्रेडिंग (ई-कामर्स सहित) में सरकारी मंजूरी मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का फैसला किया है। सरकार ने रक्षा, दूरसंचार, निजी सुरक्षा या सूचना एवं प्रसारण क्षेत्र में कार्यरत विदेशी कंपनियों के लिए शाखा या संपर्क कार्यालय खोलने के लिए अलग से सुरक्षा मंजूरी तथा रिजर्व बैंक की मंजूरी की जरूरत को समाप्त कर दिया है। ऐसी छूट तब मिलेगी जबकि एफआईपीबी या मंत्रालय या नियामक की जरूरी अनुमति ली जा चुकी हो। इसके अलावा सरकार ने पशुपालन से जुड़ी गतिविधियों में एफडीआई के लिए ‘नियंत्रित शर्तों’ को भी समाप्त करने का फैसला किया है। मौजूदा नीति के तहत पशुपालन (डॉग ब्रीडिंग सहित), मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों में नियंत्रित शर्तों के साथ स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। सरकार ने रक्षा, निर्माण विकास, बीमा, पेंशन, प्रसारण, चाय, कॉफी, रबड़, इलायची, पाम तेल और जैतून तेल पौधरोपण, एकल ब्रांड खुदरा कारोबार, विनिर्माण क्षेत्र, सीमित देनदारी भागीदारी, नागर विमानन, क्रेडिट सूचना कंपनियों, सैटेलाइट तथा संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के क्षेत्र में प्रमुख एफडीआई सुधार किए हैं। बयान में कहा गया है कि सरकार द्वारा किए गए उपायों से एफडीआई का प्रवाह 2013-14 के 36.04 अरब डॉलर से बढ़कर 2015-16 में 55.46 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह किसी वित्त वर्ष में सबसे अधिक एफडीआई का प्रवाह है। बयान में कहा गया है कि एफडीआई नीति में बदलाव का मकसद कारोबार सुगमता के लिए नियमों को उदार और सरल करना है। इससे पूंजी प्रवाह बढ़ेगा और भारत विदेशी निवेशकों के लिए आकषर्क गंतव्य बन सकेगा। विदेश निवेश नियमों में बदलाव का मकसद अधिक रोजगार पैदा करना, अवसंरचना में सुधार करना और निवेश के माहौल को विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी आकर्षित करने के लिए अधिक अनुकूल बनाना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब एक छोटी ‘नकारात्मक’ सूची को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्र में एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग के तहत की जा सकती है। इन बदलावों के बाद अब भारत एफडीआई के मामले में भारत दुनिया में सबसे खुली अर्थव्यवस्था होगा। इसका मकसद देश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देना है। यह एफडीआई क्षेत्र में दूसरा प्रमुख सुधार है। इससे पहले केंद्र ने पिछले साल नवंबर में विदेशी निवेश व्यवस्था में उल्लेखनीय रूप से ढील दी थी।