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हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

वॉशिंगटन: अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में देशों से अपील की है कि वे दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के निर्णायक फैसले के बाद विवादित क्षेत्र में भड़काऊ या स्थिति को बिगाड़ने वाले कदम नहीं उठाएं। हेग स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायायालय (पीसीए) ने अपने आदेश में दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों के आस.पास चीन के दावों को अवैध करार दे दिया है। दक्षिण चीन सागर के करीब 90 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्जा स्थापित करने की चीन की कोशिशों को फिलीपीन ने वर्ष 2013 में चुनौती दी थी। चीन ने आदेश मानने या लागू करने से इनकार कर दिया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ कल डलास जाते समय संवाददाताओं से कहा, ‘हम निश्चित ही सभी पक्षों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे इस न्यायाधिकरण की अंतिम एवं बाध्यकारी प्रकृति को स्वीकार करें। हम निश्चित ही सभी पक्षों से अपील करेंगे कि वे इसका इस्तेमाल स्थिति को और बिगाड़ने वाले या भड़काउ कदम उठाने के मौके के तौर पर नहीं करें।’ अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर के किसी भी क्षेत्र का दावेदार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारा हित क्षेत्र में विवादों एवं प्रतिस्पर्धी दावों के शांतिपूर्ण समाधान की इच्छा में निहित है।’ अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका विश्व के इस क्षेत्र में वाणिज्य का मुक्त प्रवाह एवं नौवहन की स्वतंत्रता सुरक्षित रखना चाहता है।’ उन्होंने दक्षिण चीन सागर को रणनीतिक रूप से विश्व का एक अहम क्षेत्र बताते हुए कहा कि यह अरबों डॉलर के वाणिज्य का भी मार्ग है।

काठमांडू: नेपाल में प्रधानमंत्री केपी ओली नीत गठबंधन सरकार गंभीर संकट में फंस गई जब गठबंधन में शामिल प्रचंड की माओवादी पार्टी ने वर्तमान सरकार से समर्थन वापस ले लिया और दावा किया कि वह विपक्षी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से अगली सरकार बनाएगी। सीपीएन (माओवादी सेंटर) प्रमुख पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी ने सीपीएन-यूएमएल नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया, क्योंकि ओली की पार्टी मई में दोनों दलों के बीच हस्ताक्षरित नौ बिन्दुओं के समझौते और नेतृत्व परिवर्तन के समझौते को लागू करने में झिझक रही है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रचंड ने नया संविधान और पुराने समझौतों को लागू करने का जिक्र किया और कहा कि उनकी पार्टी हमेशा राष्ट्रीय आमसहमति बनाने के समर्थन में रही है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापस लेने के पार्टी के फैसले से राष्ट्रीय आम सहमति बनाने में मदद मिलेगी। प्रचंड द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया कि हमारी पार्टी ने नया कानून लागू करने, संक्रमणकालीन न्याय के साथ शांति प्रक्रिया के लिए बचे कार्य पूरे करने, मधेसियों, जनजातियों और थारुओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुलझाने और लोगों को राहत पहुंचाने तथा पिछले साल के भयंकर भूकंप के बाद देश का पुनर्निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय आमसहमति की जरूरत महसूस की है। उन्होंने कहा कि मई में माओवादी पार्टी और सीपीएन यूएमएल के बीच हुए नौ बिन्दुओं के समझौते की भावना भी राष्ट्रीय आम सहमति वाली है।

हेग: दक्षिणी चीन सागर (साउथ चाइना सी) में चीन के अधिकार वाले क्षेत्र को फिलीपिन्स द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र समर्थित पंचाट ने मंगलवार को अपने फैसले में साफ कहा कि चीन का इस सागर पर किसी तरह का 'कोई ऐतिहासिक अधिकार' नहीं है। दक्षिणी चीन सागर को चीन अपना 'इलाका' समझता रहा है। वहां मनमानी करता रहा है और इस इलाके का इस्‍तेमाल इस तरह करना चाहता रहा है जिससे वहां उसकी लगातार बढ़ती नौसैन्यशक्ति बिना किसी बाधा के आ-जा सके। गौरतलब है कि हेग स्थित पांच-सदस्यीय पंचाट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है, हालांकि इस फैसले को मनवाना उसके लिए मुमकिन नहीं है, और इसका पालन संबंधित पक्षों की इच्छा पर निर्भर करता है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन कभी अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा, और चेताया कि उनका 'देश मुसीबतों से नहीं डरता' है। हालांकि यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि चीन इस मुद्दे पर कितनी कड़ाई से प्रतिक्रिया देगा। चीन ने हेग के न्‍यायिक पंचाट के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। चीन की सरकारी मीडिया एजेंसी शिन्‍हुआ ने कहा कि चीन, हेग पंचाट के निर्णय को 'न ही स्‍वीकार करता है और न ही इसको मान्‍यता देता है।' इससे पहले चीन ने हेग के पंचाट के बारे में कहा था कि उसको दक्षिण चीन सागर के इस बहुराष्‍ट्रीय विवाद पर सुनवाई का अधिकार नहीं है।

वॉशिंगटन: कश्मीर हिंसा पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बयान देने के बाद आज अमेरिका से भी पाकिस्तान को इस मसले पर करारा जवाब मिल गया। अमेरिका ने आज कहा कि कश्मीर भारत का एक आंतरिक मामला है और सभी पक्षों को हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में भड़के तनाव का शांतिपूर्ण समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने कश्मीर में भारतीय बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की खबरें देखी हैं और हम हिंसा से चिंतित हैं। हम सभी पक्षों को शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ़ने की दिशा में काम करने को प्रोत्साहित करते हैं।’’ प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने इस मुद्दे पर भारत से बात नहीं की है क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने बात नहीं की है। यह भारत सरकार का आंतरिक मामला है।’’ नवाज शरीफ ने बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत पर हैरानी जताई थी। उन्होंने वानी के मौत के विरोध में कश्मीर में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ फोर्स का इस्‍तेमाल करने पर दुख जताया था। शरीफ के कार्यालय से जारी इस वक्तव्य में कहा गया, कश्मीरी नेता बुरहान वानी समेत घाटी के अन्य नागरिकों के भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों के हाथों मारे जाने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को गहरा सदमा पहुंचा है। शरीफ ने कहा है कि वानी की मौत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ अत्यधिक और गैरकानूनी ढंग से बल प्रयोग किया गया है, जो निंदनीय है।

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