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इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने कहा है कि वह सिंधु नदी जल समझौते (आईडब्ल्यूटी) में किसी भी प्रकार के बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा। गौरतलब है कि भारत 56 साल पुराने समझौते के क्रियान्यवन के साथ ही द्विपक्षीय मतभेद निवारण पर जोर दे रहा है। प्रधानमंत्री के विशेष सहायक तारिक फातमी ने डॉन न्यूज से कहा, सिंधु नदी जल समझौते के नियमों में किसी भी बदलाव को पाकिस्तान स्वीकार नहीं करेगा। हमारा रूख समझौते के सिद्धांतों पर आधारित है। इस समझौते का ईमानदारी से सम्मान किया जाना चाहिए। सिंधु नदी जल समझौते के क्रियान्वयन में पाकिस्तान के साथ मतभेदों को मिलकर दूर करने पर भारत के जोर देने के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि इच्छाशक्ति हो तो ऐसी कोई वजह नहीं है कि किशनगंगा जैसी परियोजनाओं की तकनीकी डिजाइन के मापदंडों पर पाकिस्तान की आपत्तियों का दोनों पक्षों के विशेषज्ञ समाधान ना निकाला जा सके। स्वरूप के मुताबिक भारत का मानना है कि इस तरह के विचार-विमर्श को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। डॉन की खबर के मुताबिक भारत द्वारा और समय दिए जाने के अनुरोध से पाकिस्तान के कान खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया, इस्लामाबाद का कहना है कि भारत इस रणनीति को पहले भी अपना चुका है।
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इस्तांबुल: मध्य तुर्की के कैसरी शहर में एक सार्वजनिक परिवहन की बस के करीब एक कार बम विस्फोट में आज 13 सैनिकों की मौत हो गई। इस विस्फोट में 48 सैनिक घायल भी हुए हैं। घायलों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है जबकि असैन्य लोगों के हताहत होने का भी अंदेशा है। टेलीविजन पर दिखायी जा रही प्रारंभिक तस्वीरों में विस्फोट के बाद जली बस का मलबा नजर आ रहा है। दोगान समाचार एजेंसी ने बताया है कि शहर में अरजियस विश्वविद्यालय के सामने यह विस्फोट हुआ। एनटीवी टेलीविजन ने बताया है कि विस्फोट का घातक परिणाम सामने आ सकता है। सेना ने एक बयान में कहा कि सभी सैनिक निचले दर्जे के प्राइवेट और नॉन कमीशंड अधिकारी थे। उन्हें शहर में कमांडो मुख्यालय से जाने की इजाजत दी गई थी। इस्तांबुल में एक हमले में 44 लोगों के मारे जाने के एक सप्ताह के बाद यह घटना हुई। कुर्द चरमपंथियों ने पिछले हमले में अपना हाथ होने का दावा किया था। तुर्की में जिहादियों और कुर्द चरमपंथियों दोनों ने 2016 में घातक बम विस्फोट किये जिसमें दर्जनों लोग मारे गये हैं।
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लाहौर: जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने आज कहा कि वह गृह मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी को ‘युद्ध की घोषणा’ मानते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर काबू नहीं पाता है तो वह दस टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा। नसीर बाग लाहौर में एक रैली में उसने कहा, ‘हम राजनाथ के बयान को युद्ध की घोषणा मानते हैं और चुनौती स्वीकार करते हैं। हम नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम को स्वीकार नहीं करते हैं।’ उसने सरकार को भारत के कथित जासूस कुलभूषण को क्लीन चिट नहीं देने की चेतावनी दी। जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने कहा कि वह गृह मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी को ‘युद्ध की घोषणा' मानते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर काबू नहीं पाता है तो वह दस टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा। इससे पहले गुरूवार को गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में भी एक रैली को संबोधित करते हुए हाफिज सईद ने सरताज अजीज पर निशाना साधा था। उसका कहना था, 'हिंदुस्तान जाने की बजाय अजीज को कश्मीर में जारी मानवाधिकार के उल्लंघन का मुद्दा विश्व समुदाय के समक्ष उठाने में अपना समय खर्च करना चाहिए।'
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बीजिंग: चीन ने बाल सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की भेंट पर आज कड़ा एतराज जताया और कहा कि भारत को द्विपक्षीय संबंधो में किसी भी व्यवधान को टालने के लिए चीन के ‘मूल हितों’ का सम्मान करना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग सुआंग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हाल ही में चीन के दृढ अनुरोध और कड़े विरोध के बावजूद भारतीय पक्ष ने 14 वें दलाईलामा के राष्ट्रपति भवन में जाने की व्यवस्था पर जोर दिया जहां उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और राष्ट्रपति मुखर्जी से मुलाकात की।’ उन्होंने कहा, ‘चीनी पक्ष इससे बिल्कुल असंतुष्ट है एवं दृढ़ता से उसके विरोध में है।’ उसने 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के ‘चिल्ड्रेन फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित ‘बच्चों के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता एवं नेता’ विषयक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दलाईलामा की उपस्थिति के बारे में सवाल किया गया था। गेंग ने कहा, ‘दलाईलामा राजनीतिक निर्वासन में हैं और वह धर्म की आड़ में तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश में चीन-विरोधी गतिविधियों में लगे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम चीन-भारत संबंधों में किसी भी व्यवधान को टालने के लिए भारतीय पक्ष से दलाई लामा गुट की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को ध्यान में रखने, चीन के मूल हितों एवं बड़ी चिंताओं का पूर्ण सम्मान करने तथा इस घटना से उत्पन्न नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए प्रभावी उपाय करने की अपील करते हैं।’
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