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अलेप्पो: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरियाई शहर अलेप्पो में पर्यवेक्षकों को भेजने पर मतविभाजन की तैयारी हो रही है और इस बीच विपक्षी बलों के कब्जे वाले इस शहर में फंसे बड़ी संख्या में आम नागरिक और विद्रोही आज यहां से निकाले जाने की प्रक्रिया की बहाली का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। एक विद्रोही प्रतिनिधि ने एएफपी को बताया कि शहर से और लोगों को बाहर निकालने के लिए समझौता हो चुका है।लगभग छह साल तक चली लड़ाई में तबाह हो चुके इस शहर में अब तक 3,10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस बारे में राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन या इसके सहयोगी रूस और ईरान की ओर से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की गई है। उन पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का दबाव बना हुआ है और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तो उन पर अलेप्पो में ‘भयावहता’ फैलाने का आरोप तक लगा चुके हैं। संरा सुरक्षा परिषद की बैठक स्थानीय समयानुसार 11 बजे होगी जिसमें बचाव अभियान की निगरानी करने और आम नागरिकों की सुरक्षा पर रिपोर्ट करने के लिए फ्रांस के वहां पर्यवेक्षकों को भेजने के प्रस्ताव पर वोट डाले जाएंगे। लेकिन इस प्रस्ताव का वीटो की शक्ति प्राप्त रूस विरोध कर रहा है।
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कराची: पाकिस्तान का सिंध प्रांत इस मुस्लिम बहुल देश में बलात धर्मांतरण को अपराध की श्रेणी में रखने वाला हाल ही में पारित अल्पसंख्यक विधेयक में संशोधन करेगा। कुछ हफ्ते पहले दो कट्टरपंथी इस्लामिक दलों ने यह दावा करते हुए इस कानून का विरोध किया था कि यह पाकिस्तान को उदार एवं धर्मनिरपेक्ष देश बनाने की साजिश का एक हिस्सा है। संसदीय कार्य मंत्री निसार अहमद खुहरो ने कल कहा कि सिंध आपराधिक कानून :अल्पसंख्यक रक्षा: विधेयक, 2015 को गवर्नर के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन वह अपनी मंजूरी दें या नहीं दें, दोनों ही स्थितियों में उसकी एसेम्बली द्वारा समीक्षा एवं उसमें संशोधन किया जाएगा। डॉन ने आज खबर दी है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सिंध इकाई के अध्यक्ष खुहरो ने कहा कि धार्मिक उपदेशों के अनुसार धर्म बलात बदला नहीं जा सकता, अतएव कोई मुसलमान इन उपदेशों के विपरीत नहीं सोच सकता है और न ही कोई ऐसा कानून बना सकता । डॉन की खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति की शादी पर पहले से रोक है और धर्मांतरण पर उम्रसंबंधी कोई पाबंदी नहीं है, अतएव उसे शादी की उम्र से नहीं जोड़ा जाना चाहिए तथा यह गलतफहमी दूर की जानी चाहिए।
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वॉशिंगटन: निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आगाह किया है कि एक-चीन की दशकों पुरानी नीति में किसी छेड़छाड़ पर चीन से बेहद उल्लेखनीय प्रतिक्रिया हो सकती है। ओबामा ने कल व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘वे इस तरह भी बर्ताव नहीं करेंगे जिस तरह वे दक्षिण चीन सागर से जुड़े मुद्दों पर करते हैं जहां हम ढेर सारे तनावों से रूबरू हैं। यह उनके मूल तक जाता है कि वे खुद को कैसे देखते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया बहुत उल्लेखनीय हो सकती है। इसका यह मतलब नहीं है कि आपको कर उस चीज को पकड़े रखना है जो अतीत में की गई है, लेकिन आपको इस मुद्दे के सभी पहलुओं पर गौर करना होगा और संभावित प्रतिक्रिया के लिए योजना बनानी होगी।’ ओबामा ने यह बात ट्रंप और ताइवानी राष्ट्रपति के बीच की हाल की टेलीफोन वार्ता पर एक सवाल पर कही। फोन वार्ता में ट्रंप ने एक चीन नीति की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा किया था। इसके साथ ही उन्होंने इंगित किया कि ट्रंप विदेश नीति में कुछ ताजगी ला सकते हैं। ओबामा ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हमारी समूची विदेश नीति की समीक्षा होनी चाहिए। अपने किए कामों पर मुझे बहुत नाज है। मैं समझता हूं कि जब मैंने शुरूआत की थी तो उसके मुकाबले अब बेहतर राष्ट्रपति हूं। लेकिन आप जानते हैं कि अगर आप यहां आठ साल बंद रहते हैं तो आप चीजों को एक खास तरह से देखना शुरू कर देते हैं। कुछ नए परिप्रेक्ष्य आने से आप को लाभ होता है, लोकतंत्र को लाभ होता है, अमेरिका को लाभ होता है।’ उन्होंने केहा कि किसी नए राष्ट्रपति के लिए ना सिर्फ यह विशेषाधिकार है, बल्कि फर्ज भी है कि जो कुछ हो चुका है, उसकी वह समीक्षा करे और देखे कि क्या ठीक है और क्या ठीक नहीं है।
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वॉशिंगटन: रूस के कथित साइबर हमलों को लेकर चिंतित निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा को उम्मीद है कि उनके उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रंप भी यह सुनिश्चित करने के लिए इस मुद्दे को उतनी ही गंभीरता से लेंगे कि अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया किसी भी तरह के संभावित विदेशी प्रभाव में न हो। ओबामा ने कल संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति भी यह सुनिश्चित करने के लिए इस मुद्दे को उतनी ही गंभीरता से लेंगे कि हमारी चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह का संभावित विदेशी प्रभाव न हो। मुझे नहीं लगता कि कोई भी अमेरिकी ऐसा चाहेगा। यह किसी भी तरह के तर्क-वितर्क का मुद्दा नहीं होना चाहिए।’ सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने साईबर हैकिंग को लेकर चिंता व्यक्त की है। ओबामा ने संवाददाताओं से कहा कि इस बारे में कोई मतभेद नहीं है कि साइबर हमले के पीछे रूस का हाथ है। ओबामा ने कहा, ‘इसको लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं हैं। हमने जो भी कहा है वह तथ्य है, जो समान खुफिया आकलनों पर आधारित है। डीएनसी को हैक करने के पीछे रूस का हाथ है और परिणामस्वरूप हमारे लिए आवश्यक है कि इसके सभी तत्वों की समीक्षा कर सुनिश्चित करें कि हम भविष्य में साइबर हमलों द्वारा ऐसे हस्तक्षेपों पर रोक लगा पाने में सक्षम हों। यह एक दलीय नहीं बल्कि द्विदलीय मुद्दा होना चाहिए।’ उन्होंने उम्मीद जताई है कि जब ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे तो उनके पास अलग जिम्मेदारियां और विचार होंगे। रूसी हैंकिंग की जांच के आदेश दे चुके ओबामा ने कहा कि ओवल ऑफिस में जाना एक बुद्धिमानीपूर्ण प्रक्रिया है। ओबामा ने कहा कि वह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप को किसी भी सलाह, परामर्श, जानकारी के संबंध में पूरी मदद करेंगे ताकि वह शपथ लेने के बाद अपने निर्णय ले सकें।
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