भुवनेश्वर: ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने पंचायत चुनावों में विपक्ष को चारों खाने चित करते हुए 852 सीटों में से 766 सीटों पर जीत दर्ज की है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव परिणाम घोषित किए हैं।
राज्य में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिला परिषद की केवल 42 सीटें मिली जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिली। निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की जबकि चार सीटें छोटे दलों के हिस्से में आयी।
राज्य की कुल 853 जिला परिषद सीटों में से आयोग ने 851 सीटों के लिए चुनाव कराया था जबकि एक सीट बीजद ने निर्विरोध जीती। बीजद को 15 फरवरी से 24 फरवरी के बीच पांच चरणों में हुए चुनावों में करीब 52.73 प्रतिशत वोट मिले। भाजपा को 30.7 फीसदी और कांग्रेस को 13.57 फीसदी वोट मिले। निर्दलीय उम्मीदवारों को केवल 1.33 प्रतिशत वोट मिले जबकि अन्य दलों को 2.79 फीसदी वोट मिले।
सत्तारूढ़ बीजद ने इससे पहले 2017 में हुए पंचायत चुनाव में अपने प्रदर्शन की तुलना में इस बार 290 अधिक सीट जीती हैं, जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले 2022 में 255 सीट गंवाई। भगवा दल ने 2017 में 297 सीट जीती थीं और इस बार पार्टी मात्र 42 सीट ही जीत पाई।
पर्यवेक्षकों ने कहा कि बड़ी जीत का मतलब है कि बीजद ओडिशा के ग्रामीण हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकेगी, जिससे प्रतिद्वंद्वियों के लिए निकट भविष्य में चुनाव जीतना अधिक मुश्किल हो जाएगा।
कांग्रेस ने 2017 में जिला परिषद की 60 सीट अपने नाम की थीं, लेकिन इस बार वह फिलहाल केवल 37 सीट तक सिमट कर रह गई। निर्दलीय उम्मीदवारों और अन्य ने 2017 में 17 सीट जीतीं थीं, लेकिन इस बार वे सात सीट पर ही जीत हासिल कर पाए।
इस शानदार जीत के साथ राज्य में सत्तारूढ़ दल ओडिशा के सभी 30 जिलों में परिषद बनाने के लिए तैयार है। पिछली बार भाजपा ने आठ जिलों में परिषद बनाई थी जबकि कांग्रेस ने दो जिलों में परिषद बनाई थी।
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा 10 जिलों में कोई जिला परिषद सीट नहीं जीत पाई, तो कांग्रेस 18 जिलों में खाता नहीं खोल पाई।
भाजपा भद्रक, देवगढ़, जगतसिंहपुर, जाजपुर, झारसुगुड़ा, कोरापुट, मलकानगिरी, मयूरभंज, नबरंगपुर और रायगढ़ जिलों में जिला परिषद की कोई भी सीट नहीं जीत सकी। कांग्रेस अंगुल, बरगढ़, भद्रक, बौद्ध, कटक, देवगढ़, ढेंकनाल, गंजम, जाजपुर, झारसुगुड़ा, केंद्रपाड़ा, क्योंझर, खुर्दा, मयूरभंज, नयागढ़, पुरी, संबलपुर और सुंदरगढ़ में कोई सीट नहीं जीत पाई।
ओडिशा में पंचायत चुनाव के लिए पांच चरणों में 16 फरवरी, 18 फरवरी, 20 फरवरी, 22 फरवरी और 24 फरवरी को मतदान हुआ था और मतगणना 26 फरवरी, 27 फरवरी और 28 फरवरी को की गई।
बीजद ने 2017 में हुए नुकसान की भरपाई कर ली है और विपक्षी भाजपा और कांग्रेस के कब्जे वाले 10 जिलों को उनसे छीन लिया है। पार्टी ने इस बार बलांगीर, बरगढ़, देवगढ़, गजपति, कालाहांडी, मयूरभंज, संबलपुर, सोनपुर, रायगढ़ और झारसुगुड़ा पर अपनी पकड़ बनाई है।
वर्ष 2017 में बीजद ने 476 सीटें जीती थी 20 जिलों की परिषद का गठन किया था जबकि भाजपा ने आठ जिलों और कांग्रेस ने दो जिलों में परिषदों का गठन किया था।
ओडिशा में तीन स्तरीय पंचायत चुनाव में बीजद की प्रचंड जीत के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार को कहा कि पार्टी को मिले भारी जनादेश ने लोगों की "सेवा" की उसकी प्रतिबद्धता में इज़ाफा किया है।
पटनायक ने ट्वीट किया, “ बीजद को पसंद करने और बीजद उम्मीदवारों को समर्थन करने के लिए मैं तहे दिल से लोगों को धन्यवाद देता हूं। इस विशाल जनादेश ने लोगों की सेवा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। विजयी उम्मीदवारों और हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की समर्पित सेवा ने बीजद को एक आंदोलन बना दिया है।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता बिजॉय महापात्रा ने कहा कि पंचायत चुनाव के नतीजों पर आश्चर्य की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा बिना तैयारी के चुनाव में गई थी। उन्होंने कहा, “भाजपा के पास न तो कोई स्पष्ट रणनीति थी और न ही चुनाव से पहले कोई बैठक हुई थी।”
ओडिशा कांग्रेस समिति के प्रमुख निरंजन पटनायक ने हार स्वीकार करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने चुनाव से पहले कल्याणकारी योजनाओं के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए जनता के धन का इस्तेमाल किया।