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लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने साधु-संतों के लिए खजाने के दरवाजे खोल दिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश सरकार राज्य में 60 वर्ष के ऊपर की उम्र वाले 10 लाख साधु-संतों को भी वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल करने जा रही है। सूत्रों ने बताया कि सरकार को लगता है कि यह योजना उसके लिए लोकसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकती है।

प्रदेश सरकार ने इसके लिए सूबे के सभी जिलों में शिविर लगाकर साधु-संतों को इस योजना के दायरे में शामिल कर उन्हें लाभ देगी। अभी तक प्रदेश में चल रही पेंशन योजना में साधु और संतों को शामिल नहीं किया जाता था। इसकी दो वजहें थी, एक वैरागी का जीवनयापन करने वाले इन लोगों के पास मूलभूत कागजात और दस्तावेज नहीं होते थे। दूसरा साधु-संत इसके लिए आवेदन भी नहीं करते थे। अब योगी सरकार ने हर जिले में शिविर लगा वृद्धावस्था पेंशन में छूटे हुए लोगों को शामिल करने का फैसला किया है। इसमें विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा कि साधु-संतों को भी शामिल किया जाए।

सरकार का मानना है कि दूर-दराज के गांवों में रहने वाले तमाम साधु-संत भी गरीबी के कारण पेंशन खासकर वृद्धावस्था पेंशन की पात्रता रखते हैं, पर इनकी ओर आम तौर पर ध्यान नहीं दिया जाता है। भाजपा का मानना है कि लाभार्थीपरक योजनाएं आम चुनाव में उसके लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। यही वजह है कि सरकार से लेकर संगठन तक मुद्रा, उज्ज्वला और सौभाग्य जैसी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर खासा जोर है। प्रदेश सरकार भी उसी के नक्शे कदम पर पात्रों को पेंशन योजना से लाभान्वित करने के लिए शिविर आयोजित कराने जा रही है।

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, अभी तक यूपी में 37 लाख वृद्धों को पेंशन मिल रही है। इस योजना में अब साधु-संतों को भी शामिल किया जाएगा।'' आपको बता दें कि यूपी में योगी सरकार 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को हर माह 400 रुपये पेंशन देती है जबकि 80 वर्ष की उम्र के बाद यह बढ़कर 600 रुपये हो जाती है।

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