लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर नोटबंदी पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, अर्थव्यवस्था की बदहाली, कारोबार-उद्योग की बर्बादी व देशव्यापी बेरोज़गारी में नोटबंदी का जश्न दुखद है। ये नोटबंदी का एक बरस नहीं बरसी है।
यही नहीं अखिलेश यादव ने मंगलवार को अलग से जारी बयान में कहा कि नोटबंदी से गरीब बेहाल हो गए। दर्जनों लोगों की जाने चलीं गईं। लोगों के शादी ब्याह और अंतिम संस्कार तक में अड़चनें पैदा हो गई। उसको लेकर भाजपा सरकार ‘जश्न‘ मनाए यह भारत की जनता का उपहास है।
अखिलेश यादव ने कहा कि 8 नवम्बर 2016 को पांच सौ और हजार रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने की अचानक घोषणा के साथ उसके पीछे जो उद्देश्य बताए गए थे, वे सब खोखले थे। सरकार के इस अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय से आर्थिक जगत में अराजकता का माहौल पैदा हुआ है और बेरोजगारी के साथ निर्माण कार्य बंद होने का दंश जनता को झेलना पड़ रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे शुरु से ही कहते आ रहे हैं कि रुपया काला सफेद नहीं होता है, लेन-देन काला सफेद होता है। प्रधानमंत्री जी ने कालेधन का हौवा खड़ा किया पर स्वयं रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि जो नोट उसने जारी किए थे उसमें से 99 प्रतिशत वापस आ गए हैं। आतंकी गतिविधियां रोकने के दावों की हकीकत यह है कि कश्मीर घाटी में पहले से ज्यादा आतंकी घटनाएं घटी है। नक्सली गतिविधियां भी थमी नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी छवि चमकाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने रिजर्व बैंक या मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों को विश्वास में लिए बिना राजनीतिक फैसला लिया जिससे 64 बार उन्हें नियम बदलने पड़े। कृषि इस देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। रिजर्व बैंक मानता है कि नोटबंदी के नए नियमों के कारण नकदी का प्रवाह बाधित हुआ। फल स्वरूप किसान को औने-पौने अपनी फसल बेचनी पड़ी है। कर्ज में डूबे किसान को आत्महत्या करनी पड़ी रही है। यादव ने कहा कि नोटबंदी की मार सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र पर पड़ी क्योंकि यह क्षेत्र नकदी से संचालित होता है।
उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था में 45 फीसदी हिस्सेदारी हैं जिसमें 93 फीसदी में नकारात्मक प्रभाव पड़ने से हमारी विकास दर में भी गिरावट आ गयी। बिल्डिंग उद्योग में लगे करोड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। भाजपा सरकार ने कहा था कि करीब तीन लाख करोड़ का कालाधन रद्द हो जाएगा पर वह सारा धन वापस आ गया। कालाधन सफेद हो गया। नोटबंदी का सबसे बुरा शिकार गरीब आदमी रहा जो इस आपदा से उबर नहीं पा रहा है।