लखनऊ: राहुल मोदी के गुजरात में हैं और मोदी की सेना राहुल की अमेठी में डेरा डाल रही है। मोदी का 'प्लान अमेठी' लागू करने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मंगलवार को अमेठी में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे।स्मृति ईरानी सोमवार को ही वहां पहुंच चुकी हैं। वो वहां 21 योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगी।
यह राहुल गांधी को अमेठी में घेरने की भाजपा की मुहिम का हिस्सा है। अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के जरिए भाजपा ने सोनिया गांधी को निशाना बनाया था, लेकिन नाकाम हुई। अब राहुल को घेरने की योजना है। अमित शाह अमेठी में 12 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। भाजपा ने उसकी लिस्ट जारी की है।
लेकिन कांग्रेस कहती है कि ये सारी योजनाएं राहुल गांधी की है जिनमें कुछ का नाम बदल कर और कुछ का नाम बदले बिना भाजपा उसे अपना बता रही है। कांग्रेस ने इसके खिलाफ पोस्टर कैंपेन शुरू किया है जिसका नारा है, 'काम तेरा-नाम मेरा।' अमित शाह से एक हफ्ते पले ही अमेठी पहुंचे राहुल गांधी ने तो वहां बाकायदा उन सभी योजनाओं की फेहरिश्त पढ़ कर सुनाई और कहा कि ये सब उनकी योजनाएं हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि, 'ये जो अस्पताल है, 200 बिस्तर का अस्पताल, 90 करोड़ का अस्पताल, एफएम रेडिया इसका तो उद्घाटन भी मैं पहले कर चुका हूं। इसी तरह सारी 12 योजनाएं हमारी हैं। काफी खुशी है। हमारे बीजेपी के मित्र इन परियोजनाओं का फिर से उद्घाटन करने की कोशिश कर रहे हैं, मगर ये काम हमने अमेठी के लिए किया है और बहुत खुशी से हमने किया है।'
अमेठी गांधी परिवार का गढ़ है और अब राहुल गांधी की लोकसभा सीट, जो तीन बार से यहां से सांसद हैं। अमेठी 1967 में लोकसभा सीट बनी। तब से यहां हुए 15 आम चुनाव और उप चुनाव में 13 बार कांग्रेस जीती है और 9 बार गांधी खानदान के लोग। लेकिन 2009 में 370000 के मार्जिन से जीतने वाले राहुल 2014 में स्मृति ईरानी से करीब 1 लाख के मार्जिन से जीते। भाजपा इससे उत्साह में है।
यहां उनका चेहरा स्मृति ईरानी हैं जो पिछले 6 महीने में तीसरी बार यहां आ रही हैं। इस बार वो अमित शाह और योगी के साथ होंगी। भाजपा का इस वक्त एक बड़ा सियासी सपना अमेठी फतेह करना है। भले राहुल गांधी कोई बादशाह ना हों, लेकिन भाजपा के लिए अमेठी की फतेह किसी राज के किले पर फतेह की तरह ही होगी।
अमेठी भले देश की 543 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट हो लेकिन सियासत की मनोवैज्ञानिक जंग में वे बहुत बड़ी जीत होगी।