बेंगलुरु: वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के साथ सीआईडी अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता एम एम कलबुर्गी की हत्या मामले की अपनी जांच के ब्योरे को साझा करेगी। एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार (15 सितंबर) को यह बात कही। लंकेश की अज्ञात लोगों ने गत पांच सितंबर को उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। लंकेश की हत्या का तरीका अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ताओं गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या से मिलता-जुलता था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) सी एच प्रताप रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि सीआईडी इस बात को स्थापित करने में सफल रही कि इसी तरह के पिस्तौल का इस्तेमाल गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या में किया गया था। उन्होंने कहा, 'हत्या का तौर-तरीका तीनों मामलों में समान था। हत्यारे मोटरसाइकिल पर आए और उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। शुरुआती रिपोर्ट गौरी लंकेश मामले में भी इस बात का संकेत देती हैं कि हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए और उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।'
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस मौके पर यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह उसी गिरोह का काम है, जिसने कलबुर्गी की हत्या की।
रेड्डी ने कहा, 'एसआईटी इसपर काम कर रही है और वे इसपर कुछ भी कहने को लेकर बेहतर स्थिति में हैं।' लंकेश की हत्या के 11 दिन बीत जाने के बावजूद एसआईटी को अब तक इस मामले में सफलता नहीं मिली है। लंकेश की हत्या को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन हुआ था।
एसआईटी ने कहा है कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या इसमें कोई दक्षिणपंथी संगठन शामिल था या यह नक्सलियों की करतूत थी, जो उन्हें मुख्यधारा में लाने के लंकेश के प्रयासों से कथित तौर पर नाखुश थे।
पुलिस महानिरीक्षक (खुफिया) के नेतृत्व वाली 21 सदस्यीय एसआईटी मामले की जांच कर रही है और राज्य सरकार ने इस हत्या के बारे में जो भी महत्वपूर्ण जानकारी देगा उसे 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।