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राजौरी: जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के एक गांव में 7 दिसंबर से अब तक 17 लोगों की मौत के बाद चीख-पुकार और मातम का माहौल है। बडाल नाम के इस गांव में करीब 500 परिवार रहते हैं। लेकिन हालात इतने खराब हैं कि गांव के लोग मरने वाले अपने परिजनों की कब्र खोदने के लिए लोगों की मदद का इंतजार कर रहे हैं। पूरे गांव में भयंकर वीरानी और दहशत फैली हुई है।

मातम और दहशत के बीच वीरान हुआ गांव

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, गांव के 65 साल के जमालदीन ने बताया कि लोगों में इस कदर डर है कि कोई यहां कब्र तक खोदने के लिए तैयार नहीं है। जमालदीन कहते हैं कि कुछ हफ्ते पहले तक जिस जमीन पर बच्चे खेल रहे थे, आज उन्हें इसी जमीन के नीचे दफन कर दिया गया है। जमालदीन के नाती मुश्ताक कहते हैं कि एक कब्र को खोदने के लिए कम से कम 10 से 12 लोगों की जरूरत होती है। मुश्ताक कहते हैं कि ये मेरे नाना हैं, लेकिन हम आज एक-दूसरे के घर में न कुछ खाते हैं, न पानी पीते हैं। मुश्ताक और उनके नाना जमालदीन यास्मीन की कब्र खोदने के लिए लोगों की मदद का इंतजार कर रहे हैं।

हाल ही में यास्मीन की मौत इस अनजान बीमारी से हुई है। उनके पिता का नाम मोहम्मद असलम है। इससे पहले मोहम्मद असलम की मौसी और चाचा के अलावा पांच और बच्चों की मौत इस बीमारी की वजह से हो चुकी है।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में लोगों की मौत का यह सिलसिला 2 दिसंबर को गांव के ही रहने वाले फजल हुसैन की बेटी सुल्ताना की शादी के बाद शुरू हुआ। सुल्ताना की शादी में गांव के लोग इकट्ठा हुए थे और अब तक जिन तीन परिवारों के लोगों की मौत हुई है, वे फजल हुसैन, मोहम्मद असलम और मोहम्मद रफी के परिवार हैं।

शादी के कुछ दिन बाद ही फजल और उनके चार बच्चे बीमार पड़ गए। उन्हें राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। इसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हें जम्मू रेफर कर दिया लेकिन फजल और उनके बच्चों को नहीं बचाया जा सका।

स्थानीय प्रशासन इस पूरे मामले को लेकर तब चिंतित हुआ जब मोहम्मद रफी के परिवार के चार लोग कुछ इसी तरह के लक्षणों जैसे- हल्के बुखार और बेहोशी के बाद अस्पताल पहुंचे। इन सभी की इलाज के दौरान मौत हो गई। गांव वालों का कहना है कि रफीक और फजल रिश्तेदार हैं और दोनों के ही परिवार शादी में शामिल हुए थे।

शुरुआत में डॉक्टर्स ने यह माना कि यह फूड प्वाइजनिंग का मामला हो सकता है लेकिन एक महीने बाद इसी गांव के कई और लोग तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचे और उनमें भी ऐसे ही लक्षण थे। इन सभी लोगों की भी जान चली गई। गांव वालों ने बताया कि फजल के घर पर जब मौत हुई थी तो उनके घर में गांव वालों ने खाना खाया था। इसके बाद फजल के घर से मोहम्मद यूसुफ और मोहम्मद असलम के घर पर मीठे चावल के पैकेट भेजे गए थे। इसके कुछ दिन बाद मोहम्मद असलम के परिवार के कई लोगों की बीमारी से मौत हो गई।

हैरान करने वाली बात यह है कि गांव में लोगों की मौत किस वजह से हो रही है, इसका पता नहीं चल पा रहा है जबकि देश के कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स की टीम गांव का दौरा कर चुकी है। 17 लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार को इस मामले में एक टीम बनानी पड़ी है। गांव में दहशत की वजह से लोग घरों के अंदर ही बंद हैं और पूरा गांव एकदम वीरान हो गया है।

खबर के अनुसार, राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हालात को देखते हुए आदेश दिया गया है कि ग्रामीण फिलहाल किसी भी तरह का कोई भी सामुदायिक समारोह आयोजित ना करें। लगातार बीमारी की वजह से गांव में पहले से तय की गई कई शादियों को टाल दिया गया है। प्रशासन ने गांव में एक बावली को सील करने का भी आदेश दिया है क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि हो सकता है कि पीड़ितों ने इस बावली से पानी पिया हो।

केंद्र सरकार की टीम ने गांव का दौरा किया और इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिवार वालों से मुलाकात की। इससे पहले भारत के बड़े मेडिकल संस्थानों जैसे- पीजीआई चंडीगढ़, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी पुणे और दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम भी गांव का दौरा कर चुकी है। टीम ने यहां से पानी और खाने के सैंपल लिए थे। डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट मंज कहा था कि मरने वाले लोगों के जो सैंपल लिए गए थे उनमें कुछ न्यूरोटॉक्सिंस मिले हैं।

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