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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय के खदान में फंसे मजदूरों के मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल या केंद्र सरकार के किसी कानून अधिकारी को तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर और चिंताजनक है, इस संबंध में कोर्ट निर्देश जारी करेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए उसके द्वारा बचाव के लिए उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए हैं।

जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा कि अगर सरकार कदम उठा रही है तो खदान के मजदूरों का क्या हुआ? बेंच ने कहा, 'मजदूरों को खदान में फंसे हुए कितने दिन हो गए? क्या इस मामले में केंद्र, राज्य और एजेंसियों के बीच समन्वय नहीं है? क्या कोर्ट सेना को कदम उठाने के लिए आग्रह नहीं कर सकता? हम अभी तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। अगर ये भी माना जा रहा है कि वो जिंदा हैं या नहीं तो भी उन्हें बाहर निकाला जाना चाहिए।'

साथ ही जस्टिस सीकरी ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि वे सब जिंदा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि वो शुक्रवार को कोर्ट को बताएं कि मजदूरों को निकालने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि वो खदान में इतने दिनों से फंसे हैं ऐसे में एक-एक सेकेंड कीमती है। केंद्र को कुछ कदम उठाना है, जरूरत पड़े तो सेना को बुलाया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब थाईलैंड में हाईपावर पंप भेजे जा सकते हैं तो यहां क्यों नहीं?

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र इस संबंध में नोडल अफसर बना रहा है। सेना की जगह नेवी के गोताखोरों को तैनात किया गया है। इसके अलावा एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जा रही है।

याचिकाकर्ता आदित्य एन प्रसाद की ओर से आनंद ग्रोवर ने कहा कि एजेंसियों में तालमेल नहीं है। इसके साथ ही ग्रोवर ने कहा कि हाईपावर वाले पंप भी पर्याप्त नहीं हैं। एक्सपर्ट्स की मदद नहीं ली जा रही है।

बता दें, इस मामले में सरकार के बचाव व राहत कार्य मे तेजी लाने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। मेघालय की लुमथरी की कोयला खदान में 13 दिसंबर से 15 मजदूर फंसे हुए हैं। बुधवार को नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोर खदान में जल स्तर मापने के लिए जाने की तैयारी कर रहे थे। वहीं, आपस में जुड़ी हुईं शाफ्टों से पानी को निकालने के लिए हाई पावर पंपों को लगाने की कोशिशें बुधवार को भी जारी रहीं।

अधिकारियों ने बताया था कि गोताखोर फिर से जल स्तर को मापेंगे जिसके बाद फंसे हुए खनिकों के लिए खोज एवं बचाव अभियान फिर से शुरू करने पर फैसला लिया जाएगा। अभियान के प्रवक्ता आर सुसंगी ने बताया कि ओडिशा के एक दल द्वारा लाए गए 10 पंपों में से केवल एक ही का इस्तेमाल पास की खाली खदान में किया गया है। सुसंगी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि कोल इंडिया के हाई पावर पंप का इस्तेमाल आज बाद में किया जाएगा. अभी बहुत सारी तैयारियां चल रही हैं।'

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