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पानीपत: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पानीपत के लाल शहीद मेजर आशीष शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद मेजर का पार्थिव शरीर शुक्रवार की सुबह 7 बजे पानीपत टीडीआई सिटी उनके घर पर लाया गया। आशीष का पार्थिव शरीर आने से पहले पानीपत में आर्मी के जवानों की टोली करीब 6 बजे घर पर पहुंच गई थी। आशीष के शव को घर पर ले जाया गया और परिजनों को आशीष के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करवाए गए।

पार्थिव शरीर को देखने के बाद उनकी तीनों बहनें उनकी पत्नी और बूढ़े मां-बाप रोते बिलखते रहे और उनकी मां जय जवान जय किसान के नारे लगाती रहीं। उनकी मां ने कहा कि आशीष मेरा बेटा नहीं देश का बेटा था। उन्हें गर्व है और पूरे देश को उन पर गर्व है। आशीष के पार्थिव शरीर को करीब 10 बजे उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई देने के लिए रवाना किया गया। आशीष का पार्थिव शरीर पानीपत के जीटी रोड से होते हुए हजारों के जन समूह और काफिले के साथ करीब 10 किलोमीटर के सफर को तय करते हुए उनके पैतृक गांव बिंझौल में पहुंचा।

करीब 10 किलोमीटर की शव यात्रा के दौरान जीटी रोड और हर गली नुक्कड़ पर लोगों ने श्रद्धांजलि दी और मेजर आशीष अमर रहे के नारे लगाए। आशीष का पार्थिव शरीर पैतृक गांव में पहुंचते ही करीब 5000 लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। श्मशान घाट के आसपास बने मकानों की छतों पर पेड़ों पर चढ़कर लोगों ने आशीष की अंतिम विदाई देखी और उनके अंतिम दर्शन किए।

घाट पर आर्मी के जवानों ने राजकीय सम्मान के साथ आशीष को सलामी दी और उनके चचेरे भाई मेजर विकास ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम विदाई के दौरान आशीष की पत्नी को आर्मी के जवानों ने तिरंगा रिसीव करवाया। घाट पर शाहीद आशीष की तीनों बहनें रोती बिलखती रहीं तो वहीं मां बोलीं कि मैंने अपनी छाती पर मुक्का मार रखा है। अब मैं भी रोउंगी, वह मेरा भी बेटा था न।

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