चंडीगढ़: हरियाणा में जाटों द्वारा आरक्षण आंदोलन को आज (शुक्रवार) तीन अप्रैल तक टाल दिया गया और समुदाय के नेता विधानसभा के चालू सत्र में आरक्षण विधेयक पारित करने के लिए राज्य सरकार को समय देने के लिए तैयार हो गये हैं। मौजूदा विधानसभा सत्र 31 मार्च तक चलेगा। इस संबंध में यहां अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने घोषणा की। इससे पहले जाट नेताओं की यहां हरियाणा के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ बैठक हुई। मलिक ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने हरियाणा सरकार को जाट आरक्षण विधेयक लाने और पारित करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार 31 मार्च तक आरक्षण विधेयक पारित नहीं करती तो हम तीन अप्रैल को दिल्ली में अपनी बैठक में आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे।’’ मलिक ने सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘तीन अप्रैल तक कोई आंदोलन नहीं होगा।’’ उन्होंने जाट समुदाय के अन्य नेताओं से भी अनुरोध किया कि तीन अप्रैल तक राज्य में कोई आंदोलन या विरोध प्रदर्शन नहीं करें।हरियाणा सरकार ने पहले ही जाट नेताओं को आश्वासन दिया है कि वह राज्य में जाटों को तथा चार अन्य समुदायों को आरक्षण देने के लिए विधानसभा के मौजूदा सत्र में विधेयक लाएगी।
मलिक ने समाधान निकालने के लिए हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ हुई बातचीत पर संतोष जताया। उन्होंने कहा, ‘‘हम आज की बैठक में हुई बातचीत से पूरी तरह संतुष्ट हैं और लोगों से अपील करेंगे कि कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करें।’’ जाट नेता ने कहा, ‘‘बैठक में हमें हरियाणा के मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन दिया गया कि विधेयक को विधानसभा के चालू बजट सत्र में पारित किया जाएगा।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि जाट नेताओं को विधेयक का कोई मसौदा नहीं दिखाया गया जिसे वे देखना चाहते थे। इसके पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हरियाणा में जाटों के आंदोलन के दोबारा शुरू होने की आशंका को खारिज करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इसका कोई समाधान निकाल लिया जायेगा। सिंह ने शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से फोन पर बात की और स्थिति की समीक्षा की। नई दिल्ली में एक समारोह से इतर संवाददाताओं से गृह मंत्री ने कहा, ‘मैंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से बात की। किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है। मुझे विश्वास है कि इसका कोई समाधान निकाल लिया जायेगा।’ जाटों ने राज्य सरकार को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए 72 घंटे की समयसीमा तय की थी। उन्होंने कहा कि वे आगे की रणनीति के बारे में हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से आज बैठक के बाद निर्णय करेंगे।बहरहाल, आंदोलन की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने संवेदनशील जिलों में अर्धसैनिक बलों एवं पुलिस को तैनात किया गया है। राज्य में लोगों में भरोसा कायम करने के लिए कई स्थानों पर पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला। केंद्र ने राज्य के लिए 8000 अर्धसैनिक बलों के जवानों को भेजा है और इन्हें रोहतक, झज्जर जैसे संवेदनशील जिनसें में तैनात किया गया है। झज्जर के पुलिस अधीक्षक जश्नदीप सिंह ने कहा कि कुछ फर्जी संदेशों के प्रसारित किये जाने को देखते हुए यहां भी इसी तरह के कदम उठाये गए हैं। उन्होंने कहा, ‘इसका और अधिक प्रसार न हो, इसके लिए हमने कुछ समय के लिए सेवाएं स्थगित कर दी है।’ आल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक को देखते हुए आंदोलन शुरू नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के बाद आगे की रणनीति तय की जायेगी।’