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चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से आज (मंगलवार) जाट आंदोलन पर सोमवार तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा। इस आंदोलन के कारण अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और सरकारी एवं निजी संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। न्यायमूर्ति एस के मित्तल और न्यायमूर्ति एच एस सिद्धू की एक खंड पीठ ने भिवानी के निवासी मुरारी लाल गुप्ता की जनहित याचिका पर राज्य के महाधिवक्ता बी आर महाजन को यह आदेश दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूरे हरियाणा, खासकर रोहतक, भिवानी और जींद जिलों में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ के कारण ‘‘पूरा रोहतक राख में तब्दील हो गया है।’’ पीठ ने उम्मीद जताई कि हरियाणा के लोग स्थिति को समझेंगे और शांति बनाए रखेंगे। अदालत ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को जनता के कल्याण के बारे में सोचना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘ हरियाणा को वही हरियाणा रहने दें, जैसा कि उसे जाना जाता है।

नहीं तो वह 50 वर्ष पीछे चला जाएगा।’’ याचिकाकर्ता ने कहा कि हरियाणा में आतंक का माहौल है और जमीनी हकीकत उस सच्चाई से बहुत अलग है जो सरकार पेश कर रही है। पीठ ने हरियाणा के महाधिवक्ता से निर्दोष लोगों को हुए नुकसान और हताहतों की सूची तैयार करने को भी कहा। उसने कहा कि ऐसा नहीं होने पर बाद में बीमा कंपनियां भी इस आधार पर राहत देने से इनकार कर सकती हैं कि फाइलें उपलब्ध नहीं है। महाधिवक्ता ने कहा कि इस संबंध में दो याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है जिन पर कल सुनवाई होने की संभावना है।

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