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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने का आदेश दिया है। मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं हैं और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला भी कर रहे हैं। इसी क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य नेताओं ने गुरुवार (15 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ये योजना ‘रिश्वत और कमीशन का माध्यम‘ थी।
बीजेपी ने इसे बना दिया था रिश्वत का जरिया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को लेकर सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट के जरिए कहा, 'नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।'
राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'कांग्रेस ने हमेशा से कहा था इलेक्टोरल बॉन्ड, खारिज किए जाना चाहिए। ये बीजेपी का स्कैम था।'
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी 2024) को चुनावी बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस स्कीम को असंवैधानिक बताया। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि लंबे समय से प्रतीक्षित यह फैसला स्वागत योग्य है। यह नोटों पर वोट की शक्ति मजबूत करेगा।
"यह नोटों पर वोट की शक्ति मजबूत करेगा": कांग्रेस
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ.साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। मोदी सरकार चंदा देने वाले को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर अत्याचार कर रही है।
वीवीपैट के मुद्दे पर ध्यान देगा सुप्रीम कोर्टः जयराम रमेश
जयराम रमेश ने कहा, हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इंकार कर रहा है। अगर मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को किया रद्द
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस योजना से काले धन पर रोक की दलील दी थी। लेकिन इस दलील से लोगों के जानने के अधिकार पर असर नहीं पड़ता। यह योजना आरटीआई का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, सरकार ने दानदाताओं की गोपनीयता रखना जरूरी बताया। लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा, चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 1(ए) के तहत हासिल जानने के मौलिक अधिकार का हनन करती है। हालांकि, हर चंदा सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए नहीं होता। राजनीतिक लगाव के चलते भी लोग चंदा देते हैं। इसको सार्वजनिक करना सही नहीं होगा। इसलिए छोटे चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना गलत होगा। किसी व्यक्ति का राजनीतिक झुकाव निजता के अधिकार के तहत आता है।
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नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना दिया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई बैंक से मांगी पूरी जानकारी
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। हालांकि पीठ में दो अलग विचार रहे, लेकिन पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई बैंक को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकाकरी देने का आदेश दिया है।
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नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया जाएगा।
योजना के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। बॉन्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जा सकता है।
कोर्ट ने मामले में 31 अक्तूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी। मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की।
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