ताज़ा खबरें
यूपीपीएससी के बाहर बढ़ रहा छात्रों का हुजूम, आंदोलन चौथे दिन जारी
उत्तर भारत में पड़ने लगा कोहरा, तीन-चार दिन में और गिरेगा तापमान
दिल्ली में पहली बार एक्यूआई 400 पार: छाई रही धुंध, हवा हुई दमघोंटू
झारखंड में पहले चरण की 43 सीटों पर 2019 से ज्यादा 65.27% मतदान
शरद पवार का नाम, फोटो और वीडियो का उपयोग बंद करें: सुप्रीम कोर्ट
मणिपुर में भड़की हिंसा से तनाव, सीआरपीएफ की 20 और कंपनियां भेजी

नई दिल्ली: कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सभी फाइलें सार्वजनिक किए जाने की वकालत की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्य शुरू किया है, उससे उनके इरादों को लेकर आशंका पैदा होती है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दावा किया कि कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि वह चाहेगी कि सभी फाइलें सार्वजनिक हों क्योंकि शरारतपूर्ण राजनीतिक अभियान के जरिए देश के लोगों को दिग्भ्रमित करने और विवाद पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शर्मा की टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब प्रधानमंत्री ने नेताजी से जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां उनकी 119वीं जयंती पर जारी कीं। शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने यह सार्वजनिक किया है, उससे मोदी सरकार के इरादों को लेकर संदेह पैदा होता है, देश को यह समझने की जरूरत है।' उन्होंने नेताजी के कुछ रिश्तेदारों की इस टिप्पणी को खारिज कर दिया कि कांग्रेस ने हमेशा नेताजी के बारे में सच्चाई दबाने का प्रयास किया। ' उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताजी के किसी दूर के रिश्तेदार के साथ बहस में नहीं पड़ना चाहती। शर्मा ने दावा किया, 'उनकी अपनी पुत्री द्वारा जो कहा गया है, हम उसका सम्मान करते हैं। नेताजी की सिर्फ एक पुत्री हैं और उन्होंने जो कहा है कि, वह लोगों के सामने है, देश को उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह जानबूझकर पैदा किए गए इस विवाद से दुखी हैं।' नेताजी की पुत्री अनिता बोस फाफ ने विगत में कहा था कि उनका मानना है कि उनके पिता की मौत 1945 में ताइवान में विमान दुर्घटना में हुयी थी, 'जब तक कि कुछ और साबित नहीं होता हो।' शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सभी मोर्चों पर अपनी सरकार की भारी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे काम कर रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी ने मीडिया को आगाह किया कि नेताजी के मुद्दे पर जवाहर लाल नेहरू को बदनाम करने के लिए, कथित रूप से फर्जी दस्तावेज इंटरनेट पर फैलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेहरू ने आईएनए मामले में 1945-46 में मेजर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल सहगल और कर्नल ढिल्लो का बचाव किया था। उन्होंने ऐसे फर्जी दस्तावेजों के प्रकाशन को लेकर चेतावनी दी और कहा कि इसे चुपचाप स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने और कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी देते हुए कहा- 'जिन दस्तावेजों को सार्वजनिक किया गया है उनमें 6 फरवरी 1995 का एक कैबिनेट नोट है, जिस पर तत्कालीन गृह सचिव के पद्मनाभैया के हस्ताक्षर हैं। नोट में कहा गया है, 'इस बात के लिए तनिक भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि उनकी 18 अगस्त 1945 को ताईहोकू में विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। भारत सरकार ने पहले ही इस रुख को स्वीकार कर लिया है। इसका खंडन करने के लिए कोई सबूत नहीं है।' नोट में आगे कहा गया है, 'अगर कुछ व्यक्ति, संगठन अलग राय रखते हैं तो ऐसा लगता है कि वे किसी तर्कसंगत सोच की बजाय भावनात्मक तौर पर अधिक प्रेरित हैं। ऐसे लोगों का यह मानना कि नेताजी जीवित हैं और किसी के भी संपर्क में नहीं हैं, और जरूरत पड़ने पर सामने आएंगे, इसने अब तक अपनी प्रासंगिकता खो दी है।' यह कैबिनेट नोट सरकार के लिए तैयार किया गया था ताकि वह जापान से नेताजी की अस्थियां भारत ला सके। नेताजी की अस्थियों को टोक्यो में बोस अकादमी में रखा गया था।'

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस से पहले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के 18 संदिग्ध हमदर्दों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की एक बड़ी साजिश नाकाम की है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो एनआईए को यह कामयाबी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक टिप से मिली। रिपोर्टों के मुताबिक सीआईए लगातार पश्चिम एशिया में आईएस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कंप्यूटर के आईपी एड्रेस और स्मार्ट फोन नजर बनाए रखती है। सीआईए को आईएस के संदिग्धों के बीच एक कोड वर्ड में की जा रही बातचीत में पता चला। '7 कलश रख दो' को डिकोड करते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने भारतीय एजेंसियों को चौकन्ना किया। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत में आईएसआईएस की मौजूदगी की आशंका के सुराग मिले।आतंकी संगठन IS ने देश में भयानक हमले की खूंखार साजिश रची थी। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि 60 IS ऑपरेटिव्स देशभर में सक्रिय हैं।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर उनसे जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक कर दीं। इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु से जुड़े विवाद को समझने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे। बाद में पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे।

नई दिल्ली : सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी गुप्त फाइलें आज (शनिवार) सार्वजनिक होने जा रही हैं। संभवत: बोस परिवार की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें जारी करेंगे। बताय जा रहा है कि पहली किश्त में 100 और इसके बाद हर महीने 25-25 फाइलों को सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन उससे पहले ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री को पंडित जवाहरलाल नेहरू की लिखी वो चिट्ठी सार्वजनिक हो गई है जिसमें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को वॉर क्रिमिनल मतलब युद्ध अपराधी लिखा गया है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी द्वारा आज जारी किए जाने वाले दस्तावेजों में एक चिट्ठी ऐसी भी है जो जवाहर लाल नेहरू ने इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली को लिखी थी। इस चिट्ठी में नेहरू ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को वॉर क्रिमिनल लिखा था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख