ताज़ा खबरें
संसद का बजटसत्र रहेगा हंगामेदार, महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा भी गूंजेगा

(जलीस अहसन) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तमाशा पसंद है। जब कोई विदेशी मेहमान भारत आता है तो बतौर मेजबान वह उसके सम्मान में तमाशे का आयोजन करते हैं। किसी को साथ में झूले पर झुलाते हैं तो किसी को गंगाजी में नाव की सवारी कराते हैं। ये बात अलग है कि मोदी के साथ झूले में झूल रहा वह मेहमान झूला झूलते झूलते ही अपने सैनिकों से भारत में घुसपैठ करा रहा होता है। मोदी को तमाशा पसंद है, ये बात विदेशी भी जानते हैं। इसलिए जब वह विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उनकी मेज़बानी करने वाला मेज़बान भी अपने मेहमान के लिए तमाशों का आयोजन करता है।

वे भी उन्हें अपनी नदियों में तेज़ रफ्तार बोट से सैर कराते हैं, अपने गांव ले जाते हैं या फिर किसी यादगार जगह पर पैदल घुमाते हैं। ये तमाशे मीडिया में छाए रहते हैं। बस, और क्या चाहिए। प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी अब तक 54 देशों की यात्रा कर चुके हैं। मोदी सरकार दावा करती है कि भारत की विदेश नीति इतनी सफल कभी नहीं रही जितनी, पिछले चार साल में हुई है।

इन दावों के बीच एक हक़ीक़त यह है कि इन चार सालों में भारत के सबसे सामरिक महत्व वाले, उसके घनिष्ठ मित्र देश रहे मालदीव, नेपाल और श्रीलंका हमारे प्रभाव से निकल कर चीन की गोद में जा बैठे हैं और मोदी सरकार सिवाय लाचारी दिखाने के, कुछ नहीं कर सकी। यही नहीं बांग्लादेश, म्यांमार भी चीन की तरफ खिसकते जा रहे हैं। ऐसा होने से भारत का सुरक्षा कवच ही चीन ने छीन लिया है।

(आशु सक्सेना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जहां बीता साल चुनौतियों भरा रहा, वहीं साल 2018 की चुनावी शुरूआत के नतीजों ने भी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद यह साफ हो जाएगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ राष्ट्रीय स्तर पर क्या रहने वाला है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे की 28 सीट में से 18 पर कब्जा किया था। इस लिहाज से विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलना चाहिए। लेकिन अभी तक के चुनावी सर्वे भाजपा के पक्ष में ऐसा कोई संकेत नही दे रहे हैं।

दक्षिण में कर्नाटक एकमात्र सूबा है, जहां भाजपा का जनाधार है। इस सूबे में भाजपा को सत्तावापसी के लिए संघर्ष कर रही है। पाटी के स्टार प्रचारक पीएम मोदी और पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने लाव लश्कर (केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री) के साथ इन दिनों कर्नाटक में डेरा डाले हुए हैं। इस सूबे में कांग्रेस और जनतादल सेक्यूलर और भाजपा के बीच तिकोना मुकाबला है। पार्टी के स्टार प्रचारक पीएम मोदी ने जनतादल सेक्यूलर प्रमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पहले तारीफ की और फिर अगले की दिन उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच मिलीभगत की बात कह कर अपनी आशंका जाहिर की दी कि बहुमत हासिल नही करने की स्थिति में सत्ता वापसी की संभव नही है।

(रवीश कुमार) पहाड़ों में जितनी बर्फ नहीं गिरी है उससे कहीं ज़्यादा दिल्ली में सत्ता के गलियारों में बर्फ गिर रही है। दो दिनों से दिल्ली में बर्फ की सिल्ली गिर रही है मगर कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। एक ऐसी रिपोर्ट आई है जिसे लेकर पढ़ने वालों की सांसें जम जाती हैं, जो भी पढ़ता है अपना फोन बंद कर देता है कि कहीं कोई इस पर प्रतिक्रिया न मांग ले।

पत्रकार इस रिपोर्ट को छोड़कर बाकी सारी रिपोर्ट धुंआधार तरीके से ट्वीट कर रहे हैं ताकि बर्फ की इस सिल्ली पर जितनी जल्दी हो सके, धूल जम जाए। बहुत मुश्किल से निरंजन टाकले नाम के एक रिपोर्टर ने एक जज की लाश पर जमी धूल की परत हटा कर ये रिपोर्ट छापी है, बहुत आसानी से उस रिपोर्ट को यह दिल्ली बर्फ की सिल्ली के नीचे दबा देना चाहती है। मगर यह रिपोर्ट धीरे-धीरे व्हाट्स अप के तहखानों में बिना बताए एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही है।

अंग्रेज़ी में छपी इस लंबी रिपोर्ट को पढ़ते ही पाठक डर के ऐसे अंधेरे कुएं में ख़ुद को गिरता हुआ महसूस करने लगता है, जहां उसकी चीख भी उसके पास नहीं पहुंच पाती है। हमने कई लोगों से प्रतिक्रिया के लिए पूछा, दोबारा जब फोन किया तो फोन बंद हो गया। सत्ता का डर सबको निहत्था कर देता है।

(आशु सक्सेना): गुजरात में अभी मतदान और मतगणना होना बाकी है।लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव का एजेंड़ा भी तय कर दिया। भाजपा यह मानकर चल रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में उसकी जीत तय है और मोदी एक बार फिर सत्ता की बागड़ोर संभाल लेंगे।

उसके बाद पार्टी मोदी को भावी प्रधानमंत्री का दावेदार बनाकर लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान छेड़ देगी और मोदी के चेहरे पर 2014के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी। भाजपा की इस सोच को मानसिक दिवालियापन ही कहा जा सकता है।

भाजपा के चिंतकों ने पार्टी के चुनावी इतिहास पर नजर डालने की भी जहमत नही उठार्इ और मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का ख्याब देखने लगे । लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने गुजरात की जमीन पर पैर रखते ही मोदी को प्रधानमंत्री का सबसे बेहतर उम्मीदवार घोषित कर दिया। इतना ही नही अब भाजपा ने गुजरात में मोदी के उतराधिकारी की खोज भी शुरू कर दी है।

भाजपा 1989में लोकसभा की 89सीट जीतने में सफल रही थी। उस वक्त कांग्रेस विरोधी लहर थी और भाजपा उस चुनाव में जनतादल और वामपंथी दलों के साथ चुनावी तालमेल के तहत मैदान में कूदी थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख