(आशु सक्सेना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिनी इंड़िया में तीसरी बार लगातार नगर निगम के चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी समेत भाजप के शीर्ष नेतृत्व ने ढोल नगाड़े बजाकर जश्न मनाया था। लेकिन उसी मिनी इंड़िया में बमुश्किल चार महीने बाद विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने लेकर बयानबाजी की रस्म अदायगी कर दी। यह बात प्रसंगवश याद आई है। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जब दिल्ली विधानसभा के चुनाव के दौरान चुनावी सभा करने आए थे, उस वक्त उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। भावी प्रधानमंत्री मोदी के यह उदगार सुनकर दिल्ली के लोगों ने कांग्रेस को लड़ाई से बाहर कर दिया था। उस चुनाव में कांग्रेस को 8 और भाजपा को 32 सीट मिली थीं। अन्ना अंदोलन के बाद अस्तित्व में आयी आम आदमी पार्टी नेे 28 सीट हासिल करके राजनीतिज्ञ के पुराघाओं को चैंका दिया था। देश की राजनीति में इस घटना को भी ऐतिहासिक माना जाएगा। उस वक्त सरकार के गठन को लेकर चली कवायद के बाद यह तय हुआ कि आप दिल्ल्ी में सरकार का गठन करेगी और कांग्रेस उसे बाहर से समर्थन करेगी। आप की कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनी और ध्वस्त हो गई।
नतीजतन दिल्ली विधानसभा को निलंबित कर दिया गया। उसके बाद केंद्र में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में सरकार गठन की जब सभी कवायद फैल हो गईं, तब दिल्ली विधानसभा के मध्यावधि चुनाव की घोषणा की गई। उस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी सभा में कई बार दोहराया था कि दिल्ली मिनी इंड़िया है, यहां का संदेश पूरे देश में जाता है। पीएम मोदी के इस चुनाव प्रचार के बावजूद दिल्ली के मतदाताओं ने भाजपा को खारिज करके 32 से 3 सीट पर सिमेट दिया और कांग्रेस का खाता भी नही खुलने दिया। जबकि आंदोलन से निकली पार्टी ने चमात्कार कर दिखाया। कुल 70 विधानसभा वाली दिल्ली में आप को 67 सीट हासिल हुई। पीएम मोदी को उनके विश्लेषण के हिसाब से देश के लोगों ने मिनी इंड़िया के चुनाव में ही अपना मन बता दिया था। आपको याद दिला दें कि 2014 को लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था और अपनी अभूतपूर्व सफलता से गौरांवित होकर अपने पुराने साथी शिवसेना का साथ छोड़कर एकला चलो की राह अख्तियार की थी। उस चुनाव भाजपा को लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम वोट मिला और बेहत नाटकीय घटनाक्रम के बाद भाजपा शिवसेना सरकार के अस्तित्व में आयी और तमाम मतभेदों के बावजूद आज भी केंद्र और प्रदेश दोनों जगह कायम हैं। पीएम मोदी की लोकप्रियता में गिरावट के संकेत महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मिल गया था। कई सूबे के चुनावों के बाद जब दिल्ली में चुनाव हुआ, तब मोदी की लोकप्रियता में गिरावट पर मोहर लग गई थी। यह चुनाव पीएम मोदी ने यह कह कर लड़ा था कि मिनी इंड़िया का फैसला देश का फैसला होता है। दिल्ली ने उस वक्त देश के फैसले के बारे में पीएम मोदी को संकेत दे दिया था। उसके बाद बिहार में महागठबंधन ने पीएम मोदी को तमाम प्रलोभनों के बाद जबरदस्त शिकस्त दी थी। उस हार की अब तीन साल बाद पीएम मोदी भरपाई कर ली है, उन्होंने इस सूबे से अपने सबसे बड़े शत्रु नीतीश कुमार को साथ जोड़ लिया। नीतीश कुमार के नेतृत्व में अब एनडीए की सरकार फिर अस्तित्व में है। बहरहाल उत्तर प्रदंश समेत कई राज्यों में हुए विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनाव में जीत जारी रखने वाली भाजपा को पीएम मोदी के मिनी इंड़िया यानि दिल्ली के बावना विधानसभा के उपचुनाव में दूसरे नंबर की लड़ाई के लिए जूझते हुए देख कर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या 2019 में ऐसा ही फैसला आने वाला है। आपको फिर याद दिला दें कि दिल्ली विधानसभा के एक उपचुनाव में अकालियों की मदद से जीत दर्ज करने और उसके बाद नगर निगम के चुनाव में जीत की पतका फहराने के बाद बवाना विधानसभा चुनाव नतीजा पीएम मोदी की लोकप्रियता सवालिया निशान लगाा है। इस चुनाव में पीएम मोदी को मतदाताओं ने यह संकेत दिया है कि अभी देश कांग्रेस मुक्त नही हुआ है। विघानसभा के पिछले दो चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करने वाली पार्टी के मतों में जबरदस्त उछाल आया है। यह उछाल इस बात का संकेत है कि देश कांग्रेस मुक्त भले ही होना चाहता हो, लेकिन इसके एवज में वह सत्ता भाजपा को सौंपने का तैयार नही है। संभवतः यही वजह है कि नगर निगम चुनाव में तत्काल प्रतिक्रिया देने वाले मोदी आज शांत हैं। भाजपा ने हार की जिम्मेदारी की रस्म अदायगी भी मनोज तिवारी से करवा दी। जबकि गोवा में मनोहर परिकर की जीत पर पीए मोदी ने बधाई संदेश जारी कर दिया।