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(आशु सक्सेना) गुजरात विधानसभा चुनाव नतीजे 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों को परिलक्षित करेंगे। इस वक्त गुजरात की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115 सीट हासिल हुईं थी। सूबे का यह चुनाव मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था। इस चुनाव में भी भाजपा अपने पिछले आंकडे़ को बरकरार नही रख सकी थी।

उस चुनाव में भी प्रमुख विपक्ष कांग्रेस थी, जिसने 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा सूबे का यह चुनाव भी पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है। जबकि सामने इस बार भी मुख्य रूप से कांग्रेस ही है।

यूं तो आम आदमी पार्टी समेत कुछ क्षेत्रीय पार्टियां मैदान में हैं। मोटे तौर पर अभी तक जो खिचड़ी पकती नज़र आ रही है, उसमें भाजपा विरोधी अधिकांश राजनीतिक दलों की कांग्रेस के साथ गोलबंदी रहेगी। लिहाजा धर्म निरपेक्ष वोट कटने की संभावना कम होगी।

गुजरात में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले एक महीने में पांच बार सूबे का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने प्रदेशवासियों को करोड़ों रूपयों की बड़ी बड़ी परियोजनाओं के रूप में तोहफे दिये हैं। इस दौरान जनसभाओं में पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर कौसा है। उन्होंने कांग्रेस को विकास में रूकावट बताया है।

पीएम मोदी ने सूबे के चुनाव घोषित नही किये जाने को लेकर उठे विवाद पर भी चुनाव आयोग की तरफदारी करते हुए कांग्रेस की आलोचना की है। भाजपा के स्टार प्रचारक पीएम मोदी को एहसास है कि इस सूबे की सत्ता से भाजपा को सिर्फ कांग्रेस ही बेदखल कर सकती है।

उधर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात दौरों की सफलता ने भाजपा की चिंता बड़ा दी है। खासकर सौराष्ट्र में युवाओं में राहुल गांधी के प्रति बढ़ती दिलचस्पी भी भाजपा के रणनीतिकारों की चिंता बनी हुई है।

सौराष्ट्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में सूबे के गठन के वक्त से ही भारतीय जनसंघ यानी अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का जनाधार रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से आज भी यह प्रदेश का पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है।

गुजरात चुनाव से ठीक पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी का मामला उछलने से भी भाजपा को नुकसान पहुंचा है। भ्रष्टाचार का मुद्दा अब उतना कारगर होता नजर नही आ रहा है। यूं भी सूबे की सरकार पर भी ऐसे कई आरोप हैं।

लिहाजा भाजपा की चिंता यह है कि इस बार किस मुद्दे पर जीत दर्ज की जाए। भाजपा के स्टार प्रचार पीएम मोदी 2007 का विधानसभा चुनाव विकास को मुद्दा बना कर लड़े थे और उन्हें दस सीटों का भारी नुकसान हुआ था। गोधरा कांड़ के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 127 सीट जीतीं थी, जो विकास के नाम पर चुनाव लड़कर 2007 में 117 रह गईं थीं।

भाजपा ने पिछला चुनाव "नरेंद्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री" का नारा देकर लड़ा था। अब यह चुनाव भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है। लिहाजा इस सूबे में अगर भाजपा हारी, तो लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ़ जाएगी।

अगर पीए मोदी अपने ही गृहराज्य में बतौर प्रधानमंत्री स्वीकार्य नही किये गये, तब देश के अन्य हिस्सों में हालात 2019 तक क्या होंगे, इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।

बहरहाल गुजरात चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। पीएम मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का संकल्प लिया है। लोकसभा चुनाव के वक्त वह अपने इस संकल्प में खरे उतरे थे। अब विधानसभा चुनाव में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से ही है। प्रदेश के चुनाव नतीजे यह तय करेंगे कि लोग क्या कांग्रेस मुक्त भारत चाहते है या पीएम मोदी से मुक्ति।

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