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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): ‘‘द केरल स्टोरी‘‘ को पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में बैन करने के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब बुधवार को सुनवाई करेगा। फिल्म के निर्माताओं ने इस फिल्म को पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में बैन करने के खिलाफ याचिका दाखिल की है। इस दाखिल याचिका को लेकर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला ने कहा कि वो मामले में एक साथ ही सुनवाई करेंगे। पिछली सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल करते हुए कहा था कि फिल्म को देश के बाकी हिस्सों में बिना किसी समस्या के प्रदर्शित किया जा रहा है और इस पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं दिख रहा।

केरल हाईकोर्ट ने भी अंतरिम रोक लगाने से इंकार किया था

बता दें कि केरल और तमिलनाडु हाईकोर्ट द्वारा इस फिल्म पर अंतरिम रोक ना लगाने को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पत्रकार कुरबान अली ने इसे लेकर एक याचिका दाखिल की है।

इस याचिका में केरल हाईकोर्ट के फिल्म पर अंतरिम रोक ना लगाने को चुनौती दी गई है। केरल हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि यह फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। सुनवाई के दौरान जस्टिस एन नागरेश और जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा था कि फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड ने इसे देखने के बाद ही रिलीज करने की इजाजत दी है।

‘‘फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं‘‘

इसमें किसी समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं दिख रहा है। कोर्ट ने पूछा था कि किसी भी याचिकाकर्ता ने फिल्म देखी? प्रोड्यूसर कह रहे हैं कि फिल्म कुछ घटनाओं का काल्पनिक वर्जन है। वो उस टीजर को भी सोशल मीडिया से हटाने को राजी हैं, जिसमें 32 हजार महिलाओं के आईएसआईएस में शामिल होने की बात है।

तमिलनाडु में थियेटर मालिकों ने भी स्क्रीनिंग रोकी थी

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु में थियेटर मालिकों ने भी ‘‘द केरला स्टोरी‘‘ की स्क्रीनिंग नहीं करने का फैसला लिया था। कई ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म ने पहले ही इसे चेन्नई में लिस्टिंग से हटा दिया था। फिलहाल राज्य में 13 थिएटर इस फिल्म का प्रदर्शन कर रहे थे। थिएटर मालिकों का कहना था कि फिल्म के प्रदर्शन से मल्टीप्लेक्स में दूसरी फिल्मों पर असर पड़ सकता है। थिएटर ओनर्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य ने मीडिया को बताया था कि कानून और व्यवस्था की चिंताओं के कारण हम लोगों ने यह कदम उठाया है। मल्टीप्लेक्स में दिखाई जाने वाली अन्य फिल्में को भी इससे नुकसान होता जिस कारण यह फैसला लिया गया था।

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