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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आज आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चुनौती है। मौरिस ने ब्रुकिंग्स इंडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘आर्थिक ताकतों का जटिल जोड़ लगातार सुस्त आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य को आकार दे रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं, चीन ने भी अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है। भारत एक उम्मीद की किरण है। भारत में मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा (कैड) राजकोषीय घाटा नीचे आ रहा है।’ उन्होंने कहा कि यहां कुछ बुनियादी चुनौतियां हैं। काफी प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों का बढ़ता एनपीए चुनौती है। इससे पहले इसी महीने आईएमएफ ने 2016 और 2017 में भारत की वृद्धि दर उच्चस्तर पर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, इसके साथ ही आईएमएफ ने सरकार से अपनी कराधान प्रणाली में सुधार तथा सब्सिडी को समाप्त करने को कहा था जिससे बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
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नई दिल्ली: रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) अपने टावर कारोबार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी कनाडा के ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप को 11,000 करोड़ रूपये के लगे हाथ भुगतान पर बेचेगी। कंपनी ने यहां एक बयान में बताया, ‘प्रस्तावित सौदे आरकॉम को शुरू में ही 11,000 करोड़ रूपये नकद मिलेंगे। आरकॉम को आगे इस कारोबार में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का फायदा होता रहेगा।’ बयान में कहा गया है कि आरकॉम की योजना बिक्री प्रक्रिया से अपना कर्ज कम करने की है। सूत्रों ने बताया कि आरकॉम इस कारोबार में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को रखे रहेगी जिसका वह बाद में मौद्रीकरण करेगी। आरकॉम ने बयान में कहा कि इस संबंध में ब्रुकफील्ड के साथ एक ‘गैर-बाध्यकारी समझौते’ पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके तहत सम्बंद्धित परिसम्पत्तियों को आरकॉम रिलायंस इंफ्राटेल से निकाल कर जहां है जैसे चल रहा है के आधार पर एक विशेष प्रयोजन के लिए गठित एक अलग कंपनी के तहत कर दिया जाएगा जिसका स्वामित्व ब्रुकफलील्ड के पास होगा।
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) तथा ब्रिक्स प्रवर्तित नव विकास बैंक (एनडीबी) और सदस्य राष्ट्रों के अन्य विकास वित्त संस्थानों के बीच करार को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एनडीबी के साथ सरकार द्वारा ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग व्यवस्था के तहत सामान्य सहयोग के लिए सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत की अनुमति दी गई। एक आधिकारिक बयान के अनुसार यह व्यवस्था आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव व एक्जिम बैंक के स्तर पर कार्य करेगी। इस करार पर कोई वित्तीय खर्च नहीं होगा। बयान में कहा गया है कि इस प्रस्ताव से ब्रिक्स देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक रिश्ते बढ़ेंगे और समझौते से ब्रिक्स देशों के संस्थानों को फायदा होगा। यह एमओयू गैर बाध्यकारी करार है जिसका मकसद राष्ट्रीय कानूनों और नियमनों के दायरे में सहयोग की रूपरेखा स्थापित करना है। इसके अलावा एमओयू का उद्देश्य कौशल स्थानांतरण और ज्ञान को साझा करना है। इसमें आगे कहा गया है कि एनडीबी की स्थापना ब्रिक्स देशों के नजदीकी संबंधों को बताती है। यह सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने का एक मजबूत माध्यम है।
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मुंबई: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं, विशेषरूप से अमेरिका में बढ़ती संरक्षणवाद की प्रवृत्ति पर चिंता जताई। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद कारोबारी कामकाज सामान्य हो जाएगा। जेटली ने आज निवेश प्रवाह पर ब्रिक्स संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, ‘मेरा मानना है कि आज धरातल पर जो संकेतक दिखाई दे रहे हैं, उसके अनुसार विकसित दुनिया का एक हिस्सा संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहा है। ये चिंताएं वास्तविक हैं क्योंकि इस तरह की नीतियांे के फैलने का दुनिया के अन्य हिस्सा पर काफी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’ हालांकि वित्त मंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद के रिपब्लिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ये भय वास्तविक है, क्योंकि अधिक से अधिक संरक्षणवादी होता जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि जिस तरह से ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन खुली अर्थव्यवस्था बना रहना चाहता है, अमेरिका में भी राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के बाद इस तरह के खतरे समाप्त हो जाएंगे। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 8 नवंबर को है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा खुद का अनुभव है कि चुनाव के दौरान कुछ बयान राजकाज के संचालन के बोझ की वजह से दिए जाते हैं।
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