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हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

नई दिल्ली: टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया। रतन टाटा 4 महीने के लिए अंतरिम चेयरमैन बनाये गए। नये चेयरमैन की तलाश एक खोज समिति करेगी। टाटा संस के बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया। टाटा समूह के नये चेयरमैन की खोज के लिये गठित समिति में रतन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्र, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल होंगे। टाटा संस ने एक आश्चर्यजनक घटना क्रम के तहत साइरस मिस्त्री को आज कंपनी के चेयरमैन पद से हटा दिया। मिस्त्री को नमक से लेकर ट्रक बनाने वाले 100 अरब डॉलर के इस विशाल कंपनी समूह का नेतृत्व 4 साल पहले सौंपा गया था। मिस्त्री ने 29 दिसंबर 2012 को रतन टाटा की जगह टाटा समूह की इस होल्डिंग कंपनी के चेयरैमन का पद संभाला था। समूह ने रतन टाटा को 4 महीने के लिये अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया है। इस दौरान 5 सदस्यीय एक खोज समिति नये चेयरमैन की नियुक्ति करेगी। खोज समिति में रतन टाटा के अलावा, उद्योगपति वेणु श्रीनिवासन, बेन कैपिटल प्राइवेट इक्विटी के प्रबंध निदेशक अमित चंद्रा, राजनयिक एवं अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत रोनेन सेन तथा वार्बिक मैन्यूफैक्चरिंग ग्रुप के संस्था एवं चेयमैन तथा भारतीय प्रबंध संस्थान खड़गपुर के स्नातक लार्ड कुमार भट्टाचार्य को रखा गया है।

इंदौर: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ाने का आह्वान करते हुये कहा है कि बेहतर मानसून और मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने के चलते सरल ब्याज दरों से मांग में आई तेजी का उन्हें लाभ उठाना चाहिये। जेटली ने आज यहां मध्य प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि सार्वजनिक व्यय बढ़ने से भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। निजी क्षेत्र भी निवेश बढ़ाकर इस तेजी में यदि योगदान करता है तो इससे आर्थिक वृद्धि और तेज होगी। वित्त मंत्री ने हिंदुजा समूह के सह-अध्यक्ष गोपीचंद हिंदुजा की टिप्पणी कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी है का प्रतिवाद करते हुये कहा, ‘मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि आम तौर पर उद्योग सरकार से एक कदम आगे बढ़कर चलता है लेकिन इस समय हम इतिहास के ऐसे मोड़ पर हैं जहां निजी क्षेत्र सरकार से कुछ पीछे चल रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश में तेजी आई है, हम आपके (निजी क्षेत्र का) निवेश बढ़ाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदि यह निवेश बढ़ता है तो संभवत: आपके समक्ष देश में आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिये कुछ और गतिविधियां सामने होंगी।’ हिंदुजा ने निवेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा, ‘एक बेहतर और उर्जावान’ प्रधानमंत्री के हाथ में नेतृत्व होने के साथ भारत के लिये यह बेहतर अवसर है जब विकास के लिये पूंजी आकषिर्त की जा सकती है। ‘प्रधानमंत्री के पास पूरी क्षमता है, उन्होंने भारत का स्वरूप बदला है।

नई दिल्ली: सॉवरेन स्वर्ण बांड (एसजीबी) योजना को अधिक आकर्षक बनाने के इरादे से सरकार ने इसके छठे चरण में 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देने की पेशकश की है। इस योजना का छठा चरण सोमवार को खुल रहा है। बांड का निर्गम मूल्य 2,957 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि बांड का सांकेतिक मूल्य पिछले सप्ताह के सोना 999 शुद्धता के औसत बंद मूल्य पर तय किया गया है। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित यह मूल्य 3,007 रुपये प्रति ग्राम बैठता है। बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श में स्वर्ण बांड पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देने का फैसला किया है। इस हिसाब से यह 2,957 रुपये प्रति ग्राम बैठता है।

इंदौर: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद मध्यप्रदेश अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के चलते देश का प्रमुख आपूर्ति केंद्र बन जाएगा। जेटली ने यहां वैश्विक निवेशक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘उम्मीद है कि अगले साल जीएसटी को अमल में लाया जायेगा। इसके बाद पूरे देश में एक जैसा बाजार होगा और वस्तु तथा सेवाओं का तेजी से निर्बाध प्रसार हो सकेगा। इन हालात में मध्यप्रदेश वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति का प्रमुख केंद्र बन जायेगा, क्योंकि यह देश के बीचों.बीच स्थित है।’ उन्होंने कहा, ‘मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति दूसरे सूबों से कहीं अच्छी है। इस राज्य से चारों दिशाओं में वस्तुओं और सेवाओं की बिना किसी रकावट के आपूर्ति की जा सकती है। निवेशकों को इस कारक का ध्यान रखना चाहिये।’ वित्त मंत्री ने मध्यप्रदेश को ‘बीमारू राज्यों’ की तथाकथित सूची से बाहर निकालने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश की सड़कें बेहद खराब हालत में थीं, बिजली कुछ ही घण्टों के लिये रहती थी और किसानों के पास सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं। चौहान ने अपने नेतृत्व से मध्यप्रदेश की काया पलट दी है।’

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