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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सेवा शुल्क को स्वैच्छक रखे जाने की बात पर कायम रहते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि यदि कोई ग्राहक स्वेच्छा से इसका भुगतान कर भी देता है तो होटलों को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि वास्तव में कर्मचारियों तक कितनी राशि पहुंचती है। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते सरकार ने होटल या रेस्तरां के बिल पर सेवाशुल्क देने को ग्राहकों का ऐच्छिक विकल्प बनाने के नए दिशानिर्देशों को अनुमति दी थी। पासवान ने कहा, ‘कुछ होटलों का कहना है कि ग्राहकों से एकत्रित किए गए सेवाशुल्क का 30 प्रतिशत वह अपने कर्मचारियों में बांट देते हैं। क्या सेवा शुल्क कर्मचारियों तक पहुंचता है?’ उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि मौजूदा समय में यह स्पष्ट नहीं है कि ‘सेवा शुल्क का कितना या कुछ हिस्सा या पूर्ण हिस्सा’ होटल के कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। पासवान ने कहा, ‘ऐसे में होटल और रेस्तरां के लिए यह आवश्यक है कि उनके मालिक इसका रिकॉर्ड रखें और फिर इसे सार्वजनिक करें।’ सेवा शुल्क और सेवा कर के बीच विभेद को स्पष्ट करते हुए पासवान ने कहा कि सेवाकर अनिवार्य है जबकि सेवा शुल्क नहीं और ग्राहक को इस बारे में पता होना चाहिए। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक होटल और रेस्तरां अपने बिल में सेवा शुल्क नहीं लगा सकते, बल्कि उन्हें वह स्थान ग्राहक के लिए खाली रखना चाहिए ताकि अंतिम भुगतान से पहले वह अपनी इच्छा अनुसार इसे भर सकें।

नई दिल्ली: रेलवे एयर कंडीशन्ड कोचों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों में 3 एसी कोचों की संख्या बढ़ाएगा। रेलवे के आंकड़ें दिखाते हैं कि एक अप्रैल 2016 से 10 मार्च 2017 के बीच लंबी दूरी की ट्रेनों में 3 एसी कोचों में 17 फीसदी यात्रियों ने सफर किया जो यात्री भाड़े से हुई सारी आमदनी का 32. 60 फीसदी है। स्लीपर क्लास की मांग में अब कमी का चलन देखा जा रहा है क्योंकि अधिक यात्री 3 एसी को अपना रहे हैं। रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि कुछ लंबी दूरी की ट्रेनों में धीरे-धीरे 3 एसी कोचों की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया है। रेलवे ने हाल ही में हमसफर एक्सप्रेस शुरू की थी जिसमें केवल 3 एसी कोच थे और इसके सकारात्मक परिणाम मिले। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष 16.69 फीसदी के मुकाबले इस वर्ष यात्रियों की भागीदारी 17.15 फीसदी होने से 3 एसी की मांग बढ़ रही है। पिछले वर्ष एक अप्रैल 2016 से दस मार्च 2017 के बीच यात्रियों से होने वाली आय भी 32. 60 फीसदी से बढ़कर 33. 65 फीसदी हो गयी। स्लीपर क्लास से इस अवधि में 59.78 फीसदी यात्रियों ने यात्रा की और यात्री भाड़े से होने वाली आमदनी में 44.78 फीसदी का योगदान किया।

वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी का असर समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही उसने अप्रचलित नोटों की जगह पर नई मुद्रा तेजी से प्रचलन में लाने पर जोर दिया है ताकि लेन देन बढ़े। आईएमएफ के उप निदेशक (एशिया व प्रशांत विभाग) केनेथ कांग ने कहा, 'हमें इस बात के संकेत दिख रहे हैं कि नोटबंदी का असर समाप्त हो गया है। कुछ अनुमानों के अनुसार लगभग 75 प्रतिशत नकदी बदल दी गई है। औद्योगिक उत्पाद व पीएमआई के ताजा सूचकांक भी काफी अच्छे रहे। कांग ने कहा कि यह संगठन अवैध वित्तीय लेनदेन के खिलाफ भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन करता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी बहुत महत्वपूर्ण पहलू है इसलिए नई मुद्रा को जल्द से जल्द परिचालन में लाना चाहिए इससे न केवल लेनदेन फिर से बढ़ेगा बल्कि आम परिवारों की क्रय शक्ति भी लौटेगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी आश्चर्यजनक कदम था। 8 नवंबर को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम एक क्रांतिकारी संदेश दिया था और नोटबंदी की घोषणा की थी।

नई दिल्ली: जून माह में ट्रेन से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर एक मेगा एप के जरिए मिल सकेंगे जिसका नाम हिंदरेल रखा जा सकता है। इस मेगा एप में रेलवे के अभी तक के सारे एप शामिल किए जाएंगे। भारतीय रेलवे एक ऐसा नया एप बना रहा है जो कि ट्रेनों के आने, जाने, लेट होने , रद्द होने, प्लेटफॉर्म नंबर, रनिंग स्टेटस और सीट उपलब्धता के बारे में पूरी जानकारी देगा। इसके अलावा इससे टैक्सी, लाने ले जाने की सुविधा, रिटायरिंग रूम, होटल, टूर पैकेज, ई कैटरिंग और यात्रा से जुड़ी अन्य जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है। रेलवे ये सारी सुविधाएं सेवा प्रदाताओं के साथ राजस्व साक्षाकरण मॉडल के तौर पर उपलब्ध कराएगा। रेलवे के पास ट्रेन के जुड़ी भरोसेमंद सूचनाएं नहीं मिलने की यात्रियों की शिकायतों का अंबार रहता है खास तौर पर ट्रेनों के लेट होने के संबंध में। रेलवे बोर्ड के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने स्वीकार किया कि ट्रेनों के लेट होने से जुड़ी सटीक जानकारियां देने में समस्याएं हैं। लेकिन अब नया एप इन मुददों का निपटारा कर सकेगा। उन्होंने कहा, नया एप जून में लांच किया जाएगा जो न सिर्फ सूचनाएं देगा लेकिन इसके जरिए ट्रेनों पर भी निगाह रखी जा सकेगी। वर्तमान में भारतीय रेलवे कई ऐसे एप चला रही है जो विभिन्न प्रकार की सेवाएं देती हैं। इसमें सीएमएस एप फॉर कम्पेन मैनेजमेंट सिस्टम शामिल हैं।

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