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नई दिल्ली: बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर कटौती की सीमा मौजूदा डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये करने और करमुक्त सावधि जमा स्कीमों के लिए परिपक्वता की मियाद घटाकर एक साल किए जाने की वकालत की है जिससे घरेलू बचत को प्रोत्साहन मिल सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा के दौरान उन्होंने यह मांग भी की कि 50,000 रुपये से अधिक के ब्याज पर कर कटौती की जाए जो वर्तमान में 10,000 रुपये है। इस दौरान जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू किए जाने के बाद 2015-16 में प्राथमिक बचत बैंक जमा खाते खोलने में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि बैंक बोर्ड ब्यूरो की स्थापना और इसके ढांचे से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निष्पादन में मदद मिलेगी। बैठक के बाद एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने कहा कि कुछ कर विशेष सुझाव दिए गए ताकि घरेलू बचत को प्रोत्साहित किया जा सके। यस बैंक के प्रबंध निदेशक राणा कपूर ने कहा, ‘ एक प्रमुख बिंदु बैठक से यह निकला कि देश में कुल बचत को बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसलिए धारा 80सी के तहत सीमा बढ़ाई ढाई-तीन लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया।’

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