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वाशिंगटन: अमेरिका के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक ने सांसदों से कहा कि भारत की रूस को लेकर कुछ मजबूरियां हैं और उसके पड़ोसी देश चीन के साथ क्षेत्र को लेकर मुद्दे हैं। उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र में कई बार मतदान से भारत के दूर रहने पर सांसदों के सवालों के जवाब में यह टिप्पणियां कीं। ‘यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल' (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा, ‘‘भारत की रूस के साथ मजबूरियां हैं, उनकी अपने पड़ोस में चीन के साथ क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर मजबूरियां हैं। मुझे लगता है कि अमेरिकियों के तौर पर हमारी भारतीयों के प्रति उनके लोकतंत्र और उनकी व्यवस्था के बहुलवाद को लेकर आत्मीयता है।''
विदेश मंत्रालय में कई पदों पर काम कर चुके केशप ने सदन की विदेश मामलों की समिति द्वारा हिंद-प्रशांत पर आयोजित कांग्रेस की सुनवाई के दौरान यह कहा। कांग्रेस सदस्य अबिगैल स्पैनबर्जर ने पूछा कि आपको क्या लगता है कि भारत रूस और रूसी हितों पर दुनिया भर में कई देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों को लागू करने का कैसे प्रयास करेगा?''
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कीव: यूक्रेन पर रूस के हमले के लगभग दो सप्ताह बाद भी यूक्रेनी सैनिक बलों ने रूसी सेना को आगे बढ़ने से रोक रखा है। यूक्रेन की इस कामयाबी की पश्चिमी देश प्रशंसा कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि संख्यात्मक रूप से रूस की सेना यूक्रेन से कई गुना बेहतर है, बावजूद इसके रूस के खिलाफ यूक्रेन ने राष्ट्रीय एकता की भावना, दुश्मन से लड़ने की अच्छी तैयारी और रूसी गलतियों के कारण उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रही।
हालांकि, भविष्य अस्पष्ट बना हुआ है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बार-बार कहा है कि वह अपने और अपने लक्ष्यों के बीच कुछ भी आड़े आने नहीं देंगे। एक वरिष्ठ फ्रांसीसी सैन्य सूत्र ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "वे (रूसी) मूल रूप से बहुत तेजी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं। किसी बिंदु पर उन्हें फिर से संगठित करना होगा, लेकिन यह उनकी विफलता का संकेत नहीं है।"
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे क्या कारण और तरीके हैं, जिसकी वजह से यूक्रेन ने रूसी सैनिकों की प्रगति को रोक रखा है?
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नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध आज (मंगलवार) 13वें दिन में प्रवेश कर गया. संघर्ष के बीच दोनों देश के वार्ताकारों ने सोमवार को बातचीत की। मीडिया रिर्पोटस में यूक्रेन के एक वार्ताकार के हवाले से कहा कि बेलारूस में रूस-यूक्रेन की तीसरे दौर की बैठक के "सकारात्मक नतीजे" दिखे। हालांकि, एक रूसी वार्ताकार ने कहा कि यूक्रेन के साथ वार्ता बातचीत में जिन चीजों की उम्मीदें थीं, वो फिलहाल "पूरी नहीं हुई" हैं।
रूस-उक्रेन युद्ध से जुड़ी अहम जानकारियां:-
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को आरोप लगाया कि रूसी सैनिक ह्यूमैनिटेरियन कॉरिडोर के जरिए युद्धग्रस्त इलाकों में फंसे नागरिकों को निकालने से रोक रहे हैं। ह्यूमैनिटेरियन कॉरिडोर को लेकर वार्ता में दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी। जेलेंस्की ने टेलीग्राम पर पोस्ट किए एक वीडियो में कहा, "ह्यूमैनिटेरियन कॉरिडोर को लेकर समझौता हुआ था। क्या इस समझौते ने काम किया? रूसी टैंक, रूसी रॉकेट लॉन्चर, रूसी खदानें अपनी जगह पर काम रही हैं।"
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और उनसे अनुरोध किया कि रूस तथा यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच चल रही बातचीत के अतिरिक्त वह सीधे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से वार्ता करें।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मोदी ने कहा कि उनकी सलाह पर पुतिन यदि अमल करते हैं तो इस विषय पर जारी शांति प्रयासों को ‘‘काफी मदद’’ मिल सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोदी और पुतिन के बीच फोन पर यह बातचीत करीब 50 मिनट तक चली।
पीएमओ ने बताया कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में उभरती परिस्थितियों पर चर्चा की और इस दौरान पुतिन ने यूक्रेन तथा रूस के प्रतिनिधमंडलों के बीच जारी वार्ता की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। इसने कहा, ‘‘मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी बातचीत का स्वागत किया तथा उम्मीद जताई कि इससे दोनों देश संघर्ष की समाप्ति की दिशा में आगे बढ़ेंगे।’’
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