ताज़ा खबरें
केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज

गुवाहाटी: गौहाटी हाई कोर्ट की फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल बेंच ने संकेत दिए हैं कि जब एक बार ट्रिब्यूनल ने किसी को भारतीय घोषित कर दिया है, तो उसी व्यक्ति को दूसरी बार उसके सामने लाने पर गैर-भारतीय घोषित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट की यह टिप्पणी असम में इस कारण महत्वपूर्ण है, क्योंकि वहां ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहां भारतीय घोषित किए गए व्यक्ति को दो या उससे अधिक बार राष्ट्रीयता साबित करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं।

राष्ट्रीयता से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की नागरिकता के संबंध में ट्रिब्यूनल की राय "रेस ज्यूडिकाटा" (पूर्व निर्णीत मामला) के रूप में काम करेगी- जिसका अर्थ है कि मामला पहले ही तय हो चुका है और उसे फिर से अदालत में नहीं लाया जा सकता है।

इस सप्ताह की शुरुआत में नागरिकता पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह और जस्टिस नानी तागिया की बेंच ने कहा कि हालांकि "रेस ज्यूडिकाटा" का सिद्धांत "सार्वजनिक नीति पर आधारित है।"

नई दिल्ली: असम पुलिस ने ओएनजीसी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर कई लोगों को ठगने वाले एक ठग को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। राणा पोगाग नाम के शख्स को उसके मंगेतर जुनमोनी राभा द्वारा गिरफ्तार किया गया। जुनमोनी राभा नौगांव के एक थाने में महिला सब इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात है। पोगाग ने झूठा दावा किया था कि वह असम में ओएनजीसी में काम करता है। इस आधार पर कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर वह लोगों से पैसे मांगता था। पुलिस के मुताबिक, पोगाग ने कथित तौर पर लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए थे।

आरोपी ने नौगांव जिले में कार्यरत सब-इंस्पेक्टर जुनमोनी राभा से सामने भी अपने आपको जनसंपर्क अधिकारी बताया था। जिसके बाद पिछले साल अक्टूबर में दोनों की सगाई हुई थी। इस साल नवंबर में दोनों शादी करने वाले थे। लेकिन जब महिला आधिकारी को पता चला कि वो एक ठग है तो उसने अपने मंगेतर के ही खिलाफ केस दर्ज करवाया।

गुवाहाटी: गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बारपेटा अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में जमानत देने के अपने आदेश में की गई टिप्पणियों में ‘‘हद पार कर दी'' और इसने पुलिस बल तथा असम सरकार का ‘‘मनोबल'' गिराया।

न्यायमूर्ति देवाशीष बरुआ ने बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती द्वारा की गई टिप्पणियों को चुनौती देने वाली असम सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हालांकि दलित नेता और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक मेवानी को जमानत दिए जाने पर कोई राय नहीं दी।

बारपेटा अदालत ने मेवानी के खिलाफ 'झूठी प्राथमिकी' दर्ज करने को लेकर राज्य पुलिस की खिंचाई की थी और उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह असम पुलिस को 'वर्तमान मामले की तरह झूठी प्राथमिकी दर्ज करने से रोकने एवं आरोपियों को गोली चलाकर मारने या घायल करने वाले पुलिसकर्मियों को लेकर निर्देश देने पर विचार करे जो राज्य में रोजमर्रा की चीज बन गई है।'

गुवाहाटी: असम की एक अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणीको एक महिला कांस्टेबल पर कथित हमले के "निर्मित मामले" ("मैंन्युफैक्चरर्ड केस") में फंसाने की कोशिश करने के लिए राज्य पुलिस की कड़ी आलोचना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट के मामले में असम की एक अन्य अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के तुरंत बाद 25 अप्रैल को असम पुलिस ने एक "निर्मित" हमले के मामले में जिग्नेश को गिरफ्तार कर लिया था। उस मामले में असम के बारपेटा की अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए शुक्रवार (29 अप्रैल) को यह टिप्पणी की।

इतना ही नहीं, बारपेटा सेशन कोर्ट ने मेवाणी को जमानत देने के अपने आदेश में गुवाहाटी हाईकोर्ट से राज्य में हाल के दिनों में पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने का भी अनुरोध किया है। सत्र अदालत ने गुवाहाटी हाईकोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि वह असम पुलिस को बॉडी कैमरा पहनने और अपने वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दे ताकि किसी आरोपी को हिरासत में लिए जाने पर घटनाओं के क्रम को रिकॉर्ड किया जा सके।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख