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गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि राहुल गांधी माफी मांग सकते थे या उस टिप्पणी को वापस ले सकते थे जिसके लिए उन्हें सूरत की एक अदालत ने सजा सुनाई थी। सरमा ने कहा कि कभी-कभी जुबान फिसल जाती है और ''हमने भी इसका अनुभव किया है, लेकिन हम यह कहते हुए माफी मांगते हुए बयान जारी करते हैं कि यह अनजाने में हुआ था।'' राहुल गांधी भी ऐसा कर सकते थे और मामला वहीं खत्म हो जाता।'' सरमा ने मानहानि में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने के सूरत अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए दावा किया कि गांधी ने माफी नहीं मांगी और न ही पिछले पांच वर्षों में टिप्पणियों को वापस लिया और यह सब ओबीसी समुदाय का अपमान करने के लिए किया गया था''।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि देश एक संवैधानिक लोकतंत्र में नई गिरावट देख रहा है। टीएमसी सुप्रीमो ने एक ट्वीट में कहा, “पीएम मोदी के न्यू इंडिया में, विपक्षी नेता भाजपा के मुख्य लक्ष्य बन गए हैं!

उन्होंने कहा, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है, विपक्षी नेताओं को उनके भाषणों के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है।

इसी तरह, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शुक्रवार को देश के लिए अयोग्यता को 'आपत काल' (आपातकाल) करार देते हुए केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर हमला बोला। सोरेन ने एक ट्वीट में कहा, "आज के 'अमृत काल' में भाजपा और केंद्र द्वारा विपक्षी नेताओं को सत्ता के हर हथकंडे का इस्तेमाल कर चुप कराया जा रहा है।"

पांच साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद लिया गया फैसला

असम के मुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा, "ऐसा नहीं है कि उन्हें किसी भाजपा सदस्य या प्रधानमंत्री नरेंद्र से माफी मांगनी पड़ी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अपना अहंकार दिखाया।" ''यह एक न्यायिक प्रक्रिया है...एक चक्र है और इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है।

पांच साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री ने फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ''कर्म (भाग्य) ने आखिरकार उसे पकड़ लिया है।'' हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि न्यायिक सहारा खुला है, और गांधी 'उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दे सकते हैं'।

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