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लखनऊ: राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह शुक्रवार को अयोध्या ढांचा विध्वंस की सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट में हाजिर हुए। इस दौरान कल्याण सिंह ने कोर्ट में समर्पण कर दिया। इसके बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी। साथ ही उनपर आरोप भी तय कर दिये।  आपको बता दें कि छह दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था, तब कल्याण सिंह ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

दरअसल, सीबीआई की याचिका पर 19 अप्रैल 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह सहित 21 नेताओं पर ढांचा गिराने के आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। आरोपियों में जीवित बचे अन्य लोग कोर्ट में हाजिर होकर जमानत पर हैं। कल्याण सिंह उस समय राजस्थान के राज्यपाल थे। इसलिए संवैधानिक पद पर होने के कारण न्यायालय ने उन पर बाद में आरोप तय करने को कहा था।

 

सिंह के अलावा पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य के खिलाफ भी छह दिसंबर 1992 को 14वीं सदी की इमारत को ढहाने की साजिश रचने का मामला चल रहा है। मामले की सुनवाई दैनिक आधार पर चल रही है। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या भाजपा नेता कल्याण सिंह अभी भी संवैधानिक पद पर हैं। जांच एजेंसी ने यह दावा करते हुए कि अभी उन्हें संबंधित दस्तावेज नहीं मिले हैं, कोर्ट से दो बार समय मांगा। बार एसोसिएशन द्वारा जरूरी जानकारी देने के बाद कोर्ट ने समन जारी कर दिए।

सीबीआई ने याचिका दायर की थी कि सिंह पर 1993 में आरोप लगाए गए थे और सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 द्वारा राज्यपाल को प्रदत्त अधिकारों के कारण उन पर ट्रायल नहीं चलाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, सीबीआई को छूट दी थी कि कल्याण सिंह के पद छोड़ते ही वह उन्हें समन जारी करे।

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