नई दिल्ली: सत्ताधारी भाजपा पर हमला बोलते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है, इसलिए भाजपा किसानों का हितैषी होने का दिखावा करने लगी है। उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों के लिए घोषित ताजा न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान को कुछ मिलने वाला नहीं है, क्योंकि उसकी अर्थनीति किसान पक्षधर नहीं, कारपोरेट घरानों के हित साधने की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़गुना जोड़ने का जो दावा किया है, वह भाजपा की दोषपूर्ण आर्थिक नीति को साबित करता है।
सपा प्रमुख ने कहा, "स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की संस्तुतियों से भाजपा साफ मुकर गई थी और अब किसानों के समर्थन का ढोंग कर रही है।" अखिलेश ने आईपीएन को भेजे अपने बयान में कहा कि भाजपा राज में किसान की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उसकी जमीन कर्ज में फंसी है, कृषि मंडियों में किसान लुट रहा है, सिंचाई का संकट है। विद्युत आपूर्ति बाधित है, किसान निराशा और कुंठा में आत्महत्या कर रहा है। भाजपा को अन्नदाताओं को धोखा देने में भी कोई गुरेज नहीं है। केंद्र में भाजपा सरकार का अंतिम वर्ष है, किसानों को लाभ पहुंचाने का ख्याल उसे अब तक क्यों नहीं आया था?
सपा मुखिया ने कहा कि अपने जन्मकाल से ही भाजपा का किसान और खेत से कोई वास्ता नहीं रहा है, खेतों का वह दूरदर्शन करती आई है। अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ही गन्ना किसानों का लगभग 12238 करोड़ रुपया चीनी मिलों पर बकाया है। कर्जमाफी का वादा वादा ही रहा है। खाद, ट्रैक्टर, कीटनाशक दवाइयों पर जीएसटी की मार पड़ रही है। केंद्र की भाजपा सरकार मई, 2017 में सुप्रीम कोर्ट में मान चुकी है कि उसके कार्यकाल में लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है।
सपा मुखिया ने कहा कि सच तो यह है कि वर्ष 2019 में अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए भाजपा सीधे-सादे किसानों को बहकाने में लग गई है। भाजपा का सारा खेल चुनावी संभावनाओं पर आधारित है और इसके नेता समझते हैं कि वे फिर लोगों को अपनी 'ओपियम की पुड़िया' से बहकाने में सफल हो जाएंगे। लेकिन अब उनकी चाल में किसान फंसने वाले नहीं हैं। वे चार साल में भाजपा का वास्तविक चेहरा पहचान गए हैं।