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जोशीमठ (जनादेश ब्यूरो): ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में सुरंग के जरिए भारी मात्रा में आ रहा मलबा बचाव दल के समक्ष बड़ी बाधा बनकर सामने आया है। अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं। हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं।

रैणी से श्रीनगर तक एसडीआरएफ का सर्च ऑपरेशन, लोगों को तलाश रही आठ टीमें

ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने कार्य गुरुवार को पांचवें दिन भी जारी है। बुधवार रातभर भी राहत बचाव कार्य जारी रहा। अब गुरुवार को सुरंग अंदर के पानी को बाहर निकाला जा रहा है। इसके बाद फिर खोदाई शुरू की जाएगी।

 

अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं। हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं। 

बताया जा रहा है कि तीन किलोमीटर लंबी सुरंग के 180 मीटर पर एक मोड़ है। इसी मोड़ पर लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। जल प्रलय में लापता हुए अपनों की तलाश में तपोवन औैर रैणी पहुंचे लोगों सब्र का बांध टूटने लगा है। परियोजना की सुरंग से करीब 500 मीटर दूर बैठे लोग सुरंग के बाहर और अंदर मुस्तैद रेस्क्यू टीमों को बढ़ी उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं।

रुका हुआ ड्रिलिंग का कार्य फिर से शुरू

रुका हुआ ड्रिलिंग का कार्य फिर से शुरू हो गया है। सुरंग में कुछ देर के यह कार्य रुका था। वहीं इसके साथ एक डोजर मलबा हटाने का कार्य कर रहा है।

तपोवन सुरंग में पांच मिटर तक ड्रिलिंग के बाद काम रोका, अंदर गैस बनने से हाे रही परेशानी

तपोवन सुरंग में पांच मिटर तक ड्रिलिंग के बाद अब काम रोक दिया गया है। अंदर गैस बनने के कारण ड्रिलिंग करने में परेशानी हो रही है। जिस कारण फिलहाल काम रोक दिया गया है।

रैणी गांव से श्रीनगर तक खोजबीन में लगी एसडीआरएफ की आठ टीमें 

तपोवन दैवीय आपदा का आज पांचवा दिन है। वर्तमान में एसडीआरएफ की आठ टीमों सहित अनेक राहत बचाव बल अभियान में शामिल हैं। रैणी गांव से श्रीनगर तक खोजबीन जारी है। ड्रोन ओर मोटरबोट से भी खोज की जा रही है। डॉग स्क्वार्ड टीम भी मौके पर है। अलकनंदा के तटों पर बायनाकुलर से भी सर्च अभियान जारी है।

रैणी गांव आपदा के मृतक

अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 

सुरंग के अंदर कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका

चमोली में तपोवन सुरंग के अंदर बचाव अभियान जारी है। आईटीबीपी की डीआईजी अपर्णा कुमार के मुताबिक ऐसी संभावना है कि सुरंग के अंदर कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका है। एनटीपीसी की टीम वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है।

झूला पुल निर्माण कर रहे आईटीबीपी के जवान

आपदा के कारण चमोली जिले में कटे हुए गांवों में आईटीबीपी के जवान झूला पुल का निर्माण कर रहे हैं। इस पुल से प्रभावित गांवों में राशन वितरण किया जाएगा।

शिनाख्त के लिए 72 नहीं 96 घंटे सुरक्षित रखे जाएंगे शव

चमोली आपदा में बचाव अभियान के दौरान बरामद हो रहे शवों को शिनाख्त के लिए 72 घंटे के स्थान पर 96 घंटे सुरक्षित रखा जाएगा। दूसरे राज्यों के परिजन होने के कारण राज्य सरकार ने पहचानके लिए एक दिन बढ़ाया है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इसकी पुष्टि की है।

डीएनए सैंपलिंग में एफएसएल की ली जा रही मदद

डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि बरामद शवों की डीएनए सैंपलिंग और संरक्षण के लिए राज्य एफएसएल की भी मदद ली जा रही है। सभी मानदंडों का पालन हो रहा है। बरामद शवों को मोर्चरी कर्णप्रयाग, जोशीमठ और गोपेश्वर में रखा गया है। आपदा में लापता हुए लोगों की सूची व बरामद हुए शवों की पहचान के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। शवों से मिले आभूषण, टैटू व अन्य पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है। चमोली में स्थापित कंट्रोल रूम के नंबर 01372-251487 और 9084127503  जारी किए गए हैं।

आज रैणी पहुंचेंगे राज्यपाल बैबी रानी मोर्य औैर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल

आज राज्यपाल बैबी रानी मोर्य औैर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्यों का जायजा लेने पहुंचेंगे। सुबह नौ बजे जोशीमठ में चिनूक हेलीकॉप्टर पहुंचा है। मौके पर पहुंची वैज्ञानिकों की टीम की ओर से टनल में घुसने के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश की जा रही है, लेकिन एनटीपीसी के अधिकारियों का कहना है कि सुरंग में जाने के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश में चारों ओर मलबा रोढ़ा अटका रहा है।

सुरंग से मलबा और पानी हटाने के बाद ही फंसे लोगों तक पहुंचा जा सकता है। सुरंग से अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है। सुरंग में बुधवार रात को भी मलबा हटाने का काम जारी रहा।  उधर, रैणी गांव के समीप मलारी हाईवे पर बीआरओ की ओर से वैली ब्रिज लगाने के लिए मलबे को हटाने का काम जारी है।

सुरंग में 6.5 मीटर तक हुई ड्रिलिंग

उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि राहत बचाव कार्य जारी है। सुरंग झांकने के लिए ड्रिलिंग की जा रही है। अभी हम 6.5 मीटर तक पहुंचे हैं।

तपोवन सुरंग में की गई ड्रिलिंग

देर रात दो बजे सुरंग में 12 से 13 मीटर अंदर झांकने के लिए बचाव दल के द्वारा ड्रिलिंग शुरू की गई।

शवों की शिनाख्त के लिए बनाया व्हाट्सएप ग्रुप

आपदा में मारे गए लोगों के शवों की शिनाख्त के लिए पुलिस ने परिवारों को शामिल कर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में अभी तक 85 परिवार जुड़ चुके हैं। इस ग्रुप के जरिये दो शवों की पहचान भी हो चुकी है।  

बचाव व राहत कार्य शुरू करने के साथ पुलिस मुख्यालय में कंट्रोल रूम का गठन किया गया। इसकी कमान डीआईजी नीलेश आनंद भरणे अपराध एवं कानून व्यवस्था व प्रवक्ता (उत्तराखंड पुलिस) संभाल रहे हैं। 0135-2712685 और 9411112985 कंट्रोल रूम के नंबर हैं। 

 

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