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रायपुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ की खबर है। डीआरजी के जवानों ने नक्सलियों को घेर रखा है। मुठभेड़ की पुष्टि दंतेवाड़ा के एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने की है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अरनपुर थानाक्षेत्र के जंगलों में भारी संख्या में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर गुरुवार की रात जवान ऑपरेशन पर निकले थे, तभी उनकी नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ सकी है।

दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के दूरदराज के इलाकों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कुछ नवनिर्मित कैंप पर नक्सलियों ने ग्रेनेड लांचर से हमला कर दिया था। तात्कालिक उपकरणों को 'बैरल ग्रेनेड लांचर' कहा जाता है और पिछले लगभग छह महीनों में इन विस्फोटकों से भरे 100-150 उपकरणों को अर्धसैनिक बलों के कैंप की तरफ दागा गया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनाए गए नए सुरक्षा कैंप को निशाना बनाने के लिए इन कच्चे और तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करने की कुछ घटनाएं हुई हैं। अब इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई हैं।''

सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों द्वारा हमले सुरक्षा बलों को नक्सली गढ़ में नए कैंप बनाने से रोकने के लिए किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के संचालन के लिए बड़े पैमाने पर तैनात सीआरपीएफ, सशस्त्र माओवादी कैडरों द्वारा अक्सर गहरे और दूरदराज के जंगल क्षेत्रों में प्रवेश करने के अपने प्रयास के तहत पिछले कुछ वर्षों में फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) बना रहा है।

इसने हाल ही में छत्तीसगढ़ में इस विशिष्ट उद्देश्य के लिए लगभग पांच बटालियनों को शामिल किया है. सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि इसने पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में लगभग 11 एफओबी स्थापित किए हैं और राज्य में ऐसे करीब पांच और ठिकाने बनाने की योजना है।

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